भाजपा की कर्नाटक इकाई के वरिष्ठ नेता के.एस. ईश्वरप्पा ने मंगलवार को पार्टी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा को पत्र लिखकर 10 मई को होने वाले विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने के निर्णय की जानकारी दी और कहा कि वह चुनावी राजनीति से ‘संन्यास’ ले रहे हैं।
कन्नड़ में लिखे अपने संक्षिप्त पत्र में पूर्व उपमुख्यमंत्री ईश्वरप्पा ने कहा कि यह निर्णय उन्होंने खुद लिया है। गौरतलब है कि ईश्वरप्पा अक्सर अपने बयानों और उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों के कारण विवादों में रहे हैं।
भाजपा की कर्नाटक इकाई के पूर्व अध्यक्ष का यह फैसला ऐसे समय सामने आया है, जब पार्टी विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की सूची को अंतिम रूप दे रही है।
ईश्वरप्पा ने पिछले चार दशकों में राज्य में पार्टी को मजबूत करने में पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा के साथ महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
नड्डा को लिखे पत्र में ईश्वरप्पा ने कहा, ‘मैं स्वेच्छा से चुनावी राजनीति से संन्यास लेना चाहता हूं। अतः मेरा अनुरोध है कि इस बार होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए किसी भी निर्वाचन क्षेत्र के लिए मेरे नाम पर विचार न किया जाए।’
भ्रष्टाचार के आरोप में पिछले साल मंत्री पद से इस्तीफा देने वाले ईश्वरप्पा ने पार्टी के उन वरिष्ठ नेताओं के प्रति आभार व्यक्त किया, जिन्होंने उनके 40 साल के राजनीतिक करियर में बूथ स्तर से लेकर उपमुख्यमंत्री तक उन्हें सम्मानजनक पद दिए।
74 वर्षीय कुरूबा नेता ईश्वरप्पा शिवमोगा सीट से पांच बार विधायक रहे हैं। कुरुबा समुदाय राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) श्रेणी के तहत आता है।
इस तरह की अटकलें भी लगाई जा रही थीं कि केंद्रीय नेतृत्व ईश्वरप्पा का टिकट काट सकता है।
ईश्वरप्पा जून में 75 साल के हो जाएंगे, जो भाजपा में नेताओं के लिए चुनाव लड़ने और आधिकारिक पदों पर आसीन होने की अनौपचारिक उम्र सीमा है। हालांकि, कभी-कभार इसके अपवाद भी रहे हैं।
भाजपा ने अभी तक 224 सदस्यीय कर्नाटक विधानसभा के लिए अपने उम्मीदवारों की पहली सूची घोषित नहीं की है। एक साल पहले एक ठेकेदार संतोष पाटिल ने बेलगावी में ठेके देने में ईश्वरप्पा पर 40 फीसदी कमीशन की मांग करने का आरोप लगाते हुए उडुपी में एक होटल के कमरे में आत्महत्या कर ली थी। इस मामले के बाद ईश्वरप्पा को ग्रामीण एवं पंचायत राज मंत्री का पद छोड़ना पड़ा। बाद में पुलिस ने जांच में ईश्वरप्पा को क्लीन चिट दे दी जिसके बाद उन्होंने मंत्री पद की मांग की लेकिन पार्टी ने उनकी मांग पर कोई ध्यान नहीं दिया।
वह शुरू से ही RSS से जुड़े रहे और शिवमोग्गा में नेशनल कॉमर्स कॉलेज के छात्र के रूप में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के सक्रिय सदस्य थे। उन्होंने येदियुरप्पा और अन्य नेताओं के साथ राज्य में पार्टी को खड़ा करने के लिए कड़ी मेहनत की। येदियुरप्पा भी शिवमोग्गा जिले से ही आते हैं।