Hindenburg SEBI News: कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दलों ने भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) की प्रमुख माधवी बुच के खिलाफ हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों को लेकर सोमवार को उनके इस्तीफे की मांग की और कहा कि अदाणी समूह से जुड़े मामले की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच होनी चाहिए। दूसरी तरफ, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जेपीसी से जांच कराने की मांग को खारिज करते हुए कहा कि यह भारतीय अर्थव्यवस्था को कमजोर करने और देश में निवेश को नुकसान पहुंचाने के लिए किया जा रहा ढकोसला है।
हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने के बाद पूंजी बाजार नियामक सेबी ने अपनी पहली टिप्पणी में रविवार को कहा था कि उसने अदाणी समूह के खिलाफ सभी आरोपों की विधिवत जांच की है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक बयान में अदाणी मामले की जांच के लिए जेपीसी की मांग उठाने के साथ ही उच्चतम न्यायालय से आग्रह किया कि वह सेबी प्रमुख से जुड़े खुलासे के बाद मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) या विशेष जांच दल (एसआईटी) को सौंपे।
रमेश ने अदाणी मामले में सेबी के समझौता करने की आशंका जताई और फिर से यह मांग दोहराई कि एक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन होना चाहिए ताकि वह ‘‘मोदानी महा घोटाले’’ की पूरी जांच कर सके क्योंकि यह मामला एक ‘‘नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री’’ और एक ‘‘नॉन-बायोलॉजिकल कारोबारी’’ से जुड़ा हुआ है।
जयराम रमेश ने सोमवार को एक बयान में कहा कि सेबी ने अति सक्रियता दिखाने कोशिश की है और उसका कहना है कि उसने 100 समन, 1100 पत्र और ईमेल जारी किए हैं और 12,000 पृष्ठों वाले 300 दस्तावेजों की जांच की है। रमेश ने दावा किया कि यह बहुत थका देने वाला रहा होगा, लेकिन यह मुख्य मुद्दे से ध्यान भटकाने वाली बात है क्योंकि कार्रवाई महत्वपूर्ण है, गतिविधियां नहीं।
उनके मुताबिक, ‘‘14 फरवरी, 2023 को, मैंने सेबी अध्यक्ष को पत्र लिखकर सेबी से उन करोड़ों भारतीय नागरिकों की ओर से भारत के वित्तीय बाजारों के प्रबंधक के रूप में अपनी भूमिका निभाने का आग्रह किया था, जिनका भारत के वित्तीय बाजारों की निष्पक्षता में विश्वास है। मुझे कभी कोई जवाब नहीं मिला।’’
उन्होंने बताया कि तीन मार्च, 2023 को उच्चतम न्यायालय ने सेबी को दो महीने के भीतर अदाणी समूह के खिलाफ स्टॉक हेरफेर और अकाउंटिंग धोखाधड़ी के आरोपों की ‘‘तेजी से जांच पूरी करने’’ का निर्देश दिया था। रमेश का कहना था कि इस आदेश के 18 महीने बाद सेबी ने खुलासा किया है कि अदाणी ने न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता से संबंधित नियम 19ए का उल्लंघन किया है या नहीं, इस संबंध में महत्वपूर्ण जांच अधूरी है।
उनका दावा था, ‘‘तथ्य यह है कि सेबी की अपनी 24 जांच में से दो को पूरी करने में असमर्थता के कारण इसके निष्कर्षों के प्रकाशन में एक वर्ष से अधिक की देरी हुई।’’ रमेश ने आरोप लगाया, ‘‘इस देरी के कारण प्रधानमंत्री अपने करीबी दोस्त की अवैध गतिविधियों को बढ़ावा देने में अपनी भूमिका बताए बिना आसानी से पूरे आम चुनाव में भाग ले पाए।’’
उन्होंने कहा, अदाणी समूह के ‘क्लीन चिट’ मिलने के दावों के बावजूद, सेबी ने कथित तौर पर इन आरोपों के संबंध में अदाणी समूह की कई कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। उन्होंने कहा कि ‘‘सेबी के समझौते की आशंका’’ को देखते हुए उच्चतम न्यायालय को जांच को सीबीआई या एसआईटी को स्थानांतरित करना चाहिए।
रमेश का कहना था कि कम से कम, सेबी की शुचिता को बहाल करने के लिए सेबी अध्यक्ष को इस्तीफा देना चाहिए। कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि यदि इस पूरे मामले पर जेपीसी से जांच की मांग स्वीकार नहीं की गई तो पार्टी देशव्यापी विरोध प्रदर्शन शुरू करेगी। वेणुगोपाल ने आरोपों को ‘बहुत गंभीर’’ बताया और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर इस मामले पर अदाणी का समर्थन करने का आरोप लगाया।
उन्होंने केंद्र सरकार पर लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय का इस्तेमाल कर मामले से लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश करने का आरोप लगाया। कांग्रेस के आरोपों पर पलटवार करते हुए भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि शॉर्ट सेलिंग कंपनी का आरोप और विपक्ष द्वारा बाजार नियामक सेबी की आलोचना एक व्यापक साजिश का हिस्सा है।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि भारत को वैश्विक स्तर पर एक सुरक्षित, स्थिर और बेहतर बाजार के तौर पर देखा जा रहा है, लेकिन कांग्रेस पार्टी ऐसा माहौल बनाना चाहती है कि भारत का निवेश परिदृश्य सुरक्षित नहीं है। प्रसाद ने कहा कि अरबपति निवेशक जॉर्ज सोरोस हिंडनबर्ग में निवेशक हैं और उन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार अभियान चलाने के लिए जाना जाता है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस चाहती है कि शेयर बाजार धराशायी हो जाए जिसने करोड़ों छोटे निवेशकों को अच्छी आय दी है। उन्होंने कहा, ‘‘लोगों द्वारा खारिज किए जाने के बाद, कांग्रेस, उसके सहयोगियों और टूलकिट गिरोह में उसके सबसे करीबी सहयोगी ने भारत में आर्थिक अराजकता और अस्थिरता लाने के लिए एक साथ साजिश रची है।’’
प्रसाद ने सवाल किया कि 2004 से 2014 के बीच कांग्रेस के 10 साल के शासन में कई कथित घोटाले हुए और तब इस तरह की आलोचनात्मक रिपोर्ट क्यों नहीं लाई गई? उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व इस काल्पनिक रिपोर्ट के आधार पर आर्थिक अराजकता पैदा करने में शामिल है।’’
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के महासचिव डी राजा ने आरोप लगाया, ‘‘हालिया हिंडनबर्ग रहस्योद्घाटन बहुत गंभीर है। इसने मोदी जी के नेतृत्व वाली वर्तमान सरकार को पूरी तरह से बेनकाब कर दिया है कि कैसे वह देश के संसाधनों को लूटने के लिए कॉर्पोरेट घरानों के प्रति वफादारी दिखा रही है।’’
उन्होंने कहा कि माधवी बुच को सेबी प्रमुख पद से इस्तीफा देना चाहिए क्योंकि यह नैतिकता का मामला नहीं, बल्कि हितों के टकराव का मामला है। मार्क्सवादी कम्युनिसट पार्टी की वरिष्ठ नेता वृंदा करात ने ‘पीटीआई-वीडियो’ से कहा कि सेबी प्रमुख को लेकर हिंडनबर्ग का खुलासा बेहद गंभीर मामला है और इसकी जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘सेबी प्रमुख को इस्तीफा दे देना चाहिए या सरकार को उन्हें हटा देना चाहिए। जेपीसी द्वारा पारदर्शी जांच की जा सकती है और इसीलिए हमने जेपीसी जांच की मांग की है।’’
राष्ट्रीय जनता दल के सांसद मनोज झा ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि खबर सामने आने के बाद सरकार को संबंधित व्यक्ति से इस्तीफा मांगना चाहिए था और जांच की घोषणा करनी चाहिए थी। यह आपके पूरे सिस्टम में हेराफेरी करने जैसा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि देश की आर्थिक व्यवस्था में निवेशकों का भरोसा बनाए रखने के लिए तुरंत जेपीसी का गठन किया जाना चाहिए।’’
हिंडनबर्ग रिसर्च ने शनिवार को अपनी एक रिपोर्ट में आरोप लगाया था कि सेबी की अध्यक्ष बुच और उनके पति की कथित अदाणी धन हेराफेरी घोटाले में इस्तेमाल किए गए अस्पष्ट ‘विदेशी फंड’ में हिस्सेदारी थी।
सेबी प्रमुख बुच और उनके पति ने एक संयुक्त बयान जारी कर हिंडनबर्ग के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इसे पूरी तरह से बेबुनियाद बताया है। अदाणी समूह ने अमेरिकी शोध एवं निवेश कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च के नवीनतम आरोपों को दुर्भावनापूर्ण और चुनिंदा सार्वजनिक सूचनाओं से छेड़छाड़ करने वाला बताते हुए रविवार को कहा कि उसका बाजार नियामक सेबी की अध्यक्ष या उनके पति के साथ कोई वाणिज्यिक संबंध नहीं है।