देश में इलेक्ट्रिक वाहन बनाने वाली शीर्ष आठ कंपनियों में से पांच में जून के मुकाबले जुलाई में रजिस्ट्रेशन में गिरावट दर्ज की गई। ये वाहन पोर्टल पर दर्ज आंकड़े के अनुसार हैं। पिछले महीने के मुकाबले रजिस्ट्रेशन 5 फीसदी गिरकर 32450 हो गया। ओला इलेक्ट्रिक, एथर एनर्जी, रिवोल्ट और प्योर ईवी की बिक्री में गिरावट दर्ज की गई है।
जनवरी में बाजार में दोपहिया वाहनों में इलेक्ट्रिक वाहन का हिस्सा 2.6 फीसदी था लेकिन यह अप्रैल में बढ़कर 3.63 फीसदी हो गया। अप्रैल इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए सबसे अच्छा महीना साबित हुआ जिसमें ओला ने रिकॉर्ड 12702 स्कूटर बेची जबकि कुल 43098 वाहनों का रजिस्ट्रेशन हुआ। लेकिन मई में यह आंकड़ा गिरकर 2.81 फीसदी पर आ गया। जून में इसमें मामूली सुधार दर्ज की गई जो थोड़ा बढ़कर 3.3 फीसदी तक पहुंचा लेकिन वापस जुलाई में यह 3.1 फीसदी पर आ पहुंचा।
ओला इलेक्ट्रिक के भवीश अग्रवाल का मानना है कि 2025 तक सभी दोपहिया वाहन इलेक्ट्रिक हो जाएंगे। जबकि नोमुरा के विश्लेषकों का मानना है कि 2030 तक 30 फीसदी वाहन इलेक्ट्रिक हो जाएंगे। वर्तमान में कई और दोपहिया कंपनियां इलेक्ट्रिक वाहन के बाजार में मजबूती से उतरने पर काम कर रही है जैसे पुणे स्थित बजाज ऑटो और चेन्नई स्थित टीवीएस मोटर्स आदि।
इलेक्ट्रिक वाहन बनाने वाली कंपनियों को साल 2022 में 750000 यूनिट की बिक्री की उम्मीद थी। हालांकि पहले सात महीनों में लगभग 250000 से 260000 तक बिक्री हुई भी है लेकिन उन्हें अपने अनुमान पूरा करने के लिए आने वाले हर महीने 100000 वाहन बेचने होंगे। जुलाई में ओला इलेक्ट्रिक ने जून के मुकाबले 35 फीसदी की गिरावट देखी जो रविवार शाम तक 3816 इकाइयों के निचले स्तर तक पहुंच गया। यह लगातार तीसरा महीना था जब ओला के रजिस्ट्रेशन में गिरावट दर्ज की गई। जिसके कारण कंपनी ने अपने संयंत्र में उत्पादन कम कर दिया। ओला के प्रवक्ता ने इसपर किसी भी प्रकार की टिप्पणी करने से इंकार कर दिया। जब उनसे पूछा गया कि जुलाई में कारखाने कितने दिनों तक बंद रहा तो उन्होंने कहा की काम दोबारा शुरू हो गया है।
नोमुरा के खुदरा परामर्श के प्रमुख हर्षवर्धन शर्मा कहते हैं कि ओला अपने दोनों मोर्चे, आंतरिक और बाहरी की बीच सामंजस्य बैठाने का प्रयास कर रही है।
ओला के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि वे जल्द ही कम दाम के इलेक्ट्रिक स्कूटर लॉन्च करने जा रहे हैं। हालांकि उन्होंने समय बताने से इंकार किया। उन्होंने आगे कहा कि सिर्फ एक मॉडल के बदौलत बाजार में उनकी 50 फीसदी की हिस्सेदारी है । उनके इस मॉडल की औसत कीमत बिना सरकारी सब्सिडी के 1.5 लाख है जबकि बाजार में अधिकांश इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन की कीमत 60 से 70 हजार के बीच है।
एथर एनर्जी के द्वारा नए मॉडल लॉन्च करने के बावजूद जुलाई में उसका रजिस्ट्रेशन 68 फीसदी गिरकर महज 1227 यूनिट रह गया। एथर भी 1 लाख से अधिक मूल्य वाले वाहनों पर काम करती हैं। एथर के सह संस्थापक तरुण मेहता का कहना है कि नए उत्पादन के लिए हमारा काम पिछले कुछ दिनों से बंद था इसलिए ज्यादातर बिक्री पिछले दस दिनों की है। अगर पूरे महीने उत्पादन जारी रहता तो हम 5000 यूनिट तक बेच सकते थे।
इस बीच बजाज ऑटो और टीवीएस भी इसमें आपने पांव मजबूत कर रहे हैं। आंकड़ों और विश्लेषण के मुताबिक दोनों ने मिलकर अप्रैल जून में कुल 15200 इलेक्ट्रिक वाहन बेचें। साथ ही उनके पास पहले से ही 5 फीसदी से अधिक की बाजार हिस्सेदारी है। वाहन डाटा पोर्टल इन दोनों कंपनियों के लिए अलग अलग पंजीकरण नहीं दिखाता।
टीवीएस ने अपना इलेक्ट्रिक स्कूटर 70000 के मूल्य पर बाजार में उतारा था। जून में टीवीएस के कुल 4667 इलेक्ट्रिक स्कूटर बिके जो मई की तुलना में 77 फीसदी अधिक थी। कंपनी का लक्ष्य मासिक 20000 इलेक्ट्रिक स्कूटर प्रतिमाह बेचना है। बजाज ऑटो सालाना पांच लाख और मासिक 41000 प्रति माह के लक्ष्य से आगे बढ़ रही है। इसके इलेक्ट्रिक स्कूटर चेतक की बाजार में कीमत 1 लाख से ऊपर है।