26 मार्च इलेक्ट्रिक दोपहिया (ई-दोपहिया) उद्योग के इतिहास में ब्लैक फ्राइडे के तौर पर जाना जाएगा। 24 घंटे के अंदर दो इलेक्ट्रिक स्कूटर ( ई-स्कूटर) मॉडल जल गए थे। ई-दोपहिया में आग लगने की ऐसी घटनाएं उस समय सामने आई हैं जब इनकी बिक्री में इजाफा दर्ज किया गया है। पहले हादसे में दो लोगों की जान चली गई। इसके सहित, एक साल से भी कम समय में ई-दोपहिया में आग लगने की आधा दर्जन से ज्यादा घटनाएं सामने आ चुकी हैं।
विश्लेषकों का मानना है कि तकनीक नई होने की वजह से और अविकसित टेस्टिंग सिस्टम को देखते हुए सरकार को इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के लिए मैंडेटरी रीकॉल पॉलिसी पेश करनी चाहिए।
एआरएआई के पूर्व निदेशक एवं सीएमवीआर की टेक्नीकल स्टैंडिंग कमेटी के संस्थापक चेयरमैन बलराज भानोत ने कहा, ‘यह नई तकनीक है, इसलिए वाहनों और उसके कलपुर्जों के लिए सख्त टेस्टिंग और प्रमाणन जरूरी है।’
उन्होंने कहा, ‘जब तक तकनीक पूरी तरह विकसित नहीं हो जाती, तब तक मैंडेटरी रीकॉल नीति की जरूरत है। ग्राहकों को नुकसान उठाने की जरूरत क्यों है? निर्माताओं को दंडित किया जाना चाहिए।’
शुक्रवार को हुआ हादसा नए ओकीनावा मॉडल से जुड़ा हुआ था। इसमें यह मॉडल जल गया था। दूसरा मामला पुणे में खडे ओला एस1 में लगी आग से जुड़ा हुआ था।
ये हादसे ऐसे समय में हुए हैं जब बैटरी-संचालित ईवी को उनके प्रतिस्पर्धी इंजन समकक्षों के मुकाबले स्वच्छ, हरित और सस्ते विकल्पों के तौर पर पसंद किया जा रहा है और अब इसके लिए सरकार से नीति बनाए जाने की जरूरत बढ़ गई है।
ओला इलेक्ट्रिक के एक अधिकारी ने कहा, ‘हम लगातार उन ग्राहकों के संपर्क में हैं जो पूरी तरह सुरक्षित हैं। वाहन सुरक्षा ओला में हमारा मुख्य उद्देश्य है और हम अपने उत्पादों में उच्च गुणवत्ता मानकों के लिए प्रतिबद्घ हैं। हम इस घटना को गंभीरता से ले रहे हैं और इस संबंध में उचित कदम उठाएंगे और आने वाले दिनों में और जानकारी देंगे।’
ओकीनावा के अधिकारी ने कहा, ‘जांच चल रही है और कंपनी यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही कोई टिप्पणी देने में सक्षम होगी।’ स्थानीय मीडिया में ओकीनावा हादसे में वेल्लोर जिले में 49 वर्षीय व्यक्ति और उसकी 13 वर्षीय पुत्री के मारे जाने की खबर दी गई थी, जबकि स्कूटर स्कूटर चार्जिंग से जुड़ा हुआ था। भानोत ने कहा कि ज्यादातर किट चीन से आयात होती हैं। उनमें फुल बैटरी टेस्टिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं होता है और ग्राहकों को ऑटोमोटिव इलेक्ट्रॉनिक्स में सीमित जानकारी होती है। साथ ही बैटरी प्रबंधन और पैकेजिंग संबंधित जानकारी का भी अभाव होता है।