इलेक्ट्रिक स्कूटर को लेकर पैदा हुआ उत्साह अब थमता नजर आ रहा है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की वेबसाइट वाहन के आंकड़े के अनुसार, अप्रैल में आठ इलेक्ट्रिक दोपहिया कंपनियों के पंजीकरण का संयुक्त आंकड़ा करीब 1 प्रतिशत घटकर 43,061 वाहन रह गया।
इसकी वजह हैं चिप की लगातार किल्लत, खासकर यूक्रेन-रूस युद्घ के बाद, और इन वाहनों में आग लगने की घटनाएं, जिनसे ई-स्कूटरों को निर्माताओं द्वारा वापस मंगाना पड़ा है।
हालांकि ताजा वृद्घि की पृष्ठभूमि को देखते हुए मामूली गिरावट दर्ज की गई है, लेकिन उनके द्वारा स्कूटरों का पूंजीकरण फरवरी के मुकाबले मार्च में 58 प्रतिशत तक बढ़ा और जनवरी के मुकाबले फरवरी में इस आंकड़े में 15 प्रतिशत तक की तेजी आई थी।
पंजीकरण को लेकर सबसे बड़ी गिरावट हीरो इलेक्ट्रिक में देखने को मिली, जो बाजार में सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है। उसके स्कूटरों का पंजीकरण मार्च के 13,029 से करीब आधा घटकर अप्रैल में 6,570 रह गया।
जहां बेंगलूरु स्थित एथर एनर्जी ने अपने पंजीकरणों की संख्या में अप्रैल में 3,000 के स्तर से ज्यादा का इजाफा दर्ज नहीं किया, वहीं अन्य छोटी कंपनियों ने इसमें बड़ी गिरावट दर्ज की। प्योर एनर्जी ने मार्च के मुकाबले अप्रैल में पंजीकरण में 15 प्रतिशत, रिवोल्ट ने 12 प्रतिशत और बेनलिंग इंडिया ने 19 प्रतिशत की कमी दर्ज की।
विश्लेषकों का कहना है कि ये आंकड़े समेकन की शुरुआत हो सकते हैं। पंजीकरण के आंकड़े सामान्य तौर पर कुल बिक्री आंकड़ों के मुकाबले सामान्य हैं, क्योंकि स्कूटर बिक्री पंजीकरण में कुछ दिन का वक्त लग सकता है।
कुल आंकड़ों को मजबूत बनाए रखने में ओला इलेक्ट्रिक के आंकड़े से मदद मिली। ओला इलेक्ट्रिक स्कूटरों की बिक्री मार्च के मुकाबले अप्रैल में 39 प्रतिशत बढ़कर 12,683 पर पहुंच गई, भले ही उसके एक स्कूटर के ज्यादा गरम हो जाने को लेकर विवाद पैदा हुआ था जिससे उसे कंपनी को वापस भी मंगाना पड़ा था।
ओकीनावा के लिए समान अवधि में पंजीकरण 32 प्रतिशत की वृद्घि के साथ अप्रैल में 11,011 पर रहा।
विश्लेषकों का कहना है कि दोनों कंपनियों, खासकर ओला अपने चिप खरीदने और उचित इन्वेंट्री तैयार करने में सक्षम रही है। इससे इन कंपनियों को अन्य के मुकाबले संकट से बेहतर तरीके से मुकाबला करने में मदद मिली है।
बजाज ऑटो, टीवीएस और एचएमएसआई जैसी प्रख्यात कंपनियों द्वारा इलेक्ट्रिक स्कूटरों की बुकिंग के आंकड़े वाहन पर अलग से उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन अनुमानों के अनुसार इनका फरवरी की बिक्री में 7 प्रतिशत का योगदान है। एथर एनर्जी के सह-संस्थापक तरुण मेहता ने कहा कि गिरावट मुख्य तौर पर चिप किल्लत की वजह से दर्ज की गई। उन्होंने कहा कि ऐसे चिप ज्यादा थे जिनके लिए प्रतीक्षा अवधि 100 सप्ताह से अधिक की रही। हम हर महीने 10,000 वाहन तैयार करना चाहते थे, लेकिन चप उपलब्ध नहीं होने की वजह से इसका 30 प्रतिशत भी मुहैया कराने में सक्षम नहीं थे। हालांकि फरवरी के मुकाबले हालात 30-35 प्रतिशत बेहतर हुए हैं, लेकिन तब हमारा मानना था कि किल्लत अगस्त तक बनी रहेगी। लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि चिप की किल्लत 2023 तक बरकरार रहेगी।
समान समस्या से हीरो इलेक्ट्रिक को जूझना पड़ा है। कंपनी के प्रबंध निदेशक नवीन मुंजाल का मानना है कि कंपनी चिप किल्लत के बावजूद वर्ष का बिक्री लक्ष्य पूरा कर सकती है।
उन्होंने कहा, ‘हम मई से सामान्य वाहन ढुलाई के आसपास पहुंच सकते हैं। आपूर्ति शृंखला में चुनौतियां बनी रहेंगी, लेकिन हमें इस साल अपने लक्षित आंकड़े पर पहुंचने का भरोसा है।’ हालांकि विश्लेषकों का कहना है कि इलेक्ट्रिक स्कूटर बिक्री में वृद्घि की रफ्तार धीमी बनी रहेगी।