पीठ की चोट से उबर रहे भारत के स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी एचएस प्रणय (Prannoy H.S) वापसी को लेकर किसी तरह की जल्दबाजी में नहीं है क्योंकि वह जानते हैं कि अगले साल होने वाले ओलंपिक खेलों के लिए क्वालीफाई करना आसान काम नहीं होगा।
विश्व के आठवें नंबर के खिलाड़ी प्रणय को लगता है कि बैडमिंटन में ओलंपिक क्वालीफिकेशन प्रणाली बड़ा मसला है क्योंकि खिलाड़ी अपने पसंदीदा टूर्नामेंट का चयन नहीं कर सकते हैं।
पीठ की चोट के बावजूद प्रणय ने एशियाई खेलों में पुरुष एकल में कांस्य पदक जीता था और इस तरह से इस स्पर्धा में भारत का पदक जीतने का 41 साल का इंतजार खत्म किया था।
वापसी को लेकर किसी तरह की जल्दबाजी में नहीं
प्रणय ने पीटीआई से कहा,‘‘ मेरी पीठ की चोट पहले से बेहतर है, लेकिन मैं वापसी को लेकर किसी तरह की जल्दबाजी में नहीं हूं। मैं यही कहूंगा कि एशियाई खेलों के दौरान मेरी पीठ की स्थिति जैसी थी, वह अब उससे बेहतर है। मैंने अभ्यास भी शुरू कर दिया है। देखना है कि अगली कुछ प्रतियोगिताओं में चीजें कैसे आगे बढ़ती हैं।’’
प्रणय को इस महीने जापान ओपन सुपर 500 और चीन ओपन सुपर 750 टूर्नामेंट में हिस्सा लेना है। ओलंपिक क्वालीफिकेशन की समय सीमा एक मई 2023 से शुरू हो गई है और यह अगले साल 28 अप्रैल तक चलेगी। विश्व रैंकिंग में शीर्ष 16 में रहने वाले खिलाड़ी ओलंपिक में जगह बनाएंगे।
विश्व रैंकिंग में शीर्ष 16 में रहना होगा
उन्होंने कहा,‘‘बैडमिंटन में यह सबसे बड़ी समस्या है की क्वालिफिकेशन की अवधि 30 अप्रैल तक है। बैडमिंटन में सबसे मुश्किल काम क्वालीफाई करना है। इसके लिए आपको विश्व रैंकिंग में शीर्ष 16 में रहना होगा।’’
प्रणय ने कहा,‘‘ओलंपिक चक्र में यह सबसे बड़ा मसला है। आप अपनी पसंदीदा प्रतियोगिताओं का चयन नहीं कर सकते हैं। हमें खुद को सुरक्षित क्षेत्र में रखने के लिए कई प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेना होता है।’’
उन्होंने कहा,‘‘लेकिन अप्रैल के बाद आप अपनी पसंद की प्रतियोगिताओं का चयन कर सकते हैं और आपके पास अभ्यास के लिए दो से तीन महीने का समय रहेगा। लेकिन उससे पहले ओलंपिक में जगह बनाने की दौड़ जारी रहेगी। जो भी खिलाड़ी ओलंपिक में खेलना चाहता है उसके पास अभी मौका है।’’