अमेरिकी न्याय विभाग (DOJ) ने गूगल से मांग की है कि वह दुनिया के सबसे लोकप्रिय वेब ब्राउज़र क्रोम को बेच दे। यह कदम गूगल की ऑनलाइन सर्च मोनोपॉली खत्म करने के लिए बुधवार को दायर की गई अदालत की याचिका का हिस्सा है।
बीबीसी में छपी खबर के मुताबिक, सरकारी वकीलों ने जिला जज अमित मेहता को यह प्रस्ताव दिया है कि वह गूगल को उन कंपनियों – जैसे ऐप्पल और सैमसंग – के साथ कॉन्ट्रैक्ट करने से रोकें, जो गूगल के सर्च इंजन को स्मार्टफोन और ब्राउज़रों में डिफ़ॉल्ट विकल्प बनाती हैं। यह प्रस्ताव अगस्त में आए ऐतिहासिक प्रतिस्पर्धा विरोधी फैसले के बाद सामने आया है, जिसमें जज अमित मेहता ने गूगल को ऑनलाइन सर्च में प्रतिस्पर्धा खत्म करने का दोषी पाया था।
गूगल के खिलाफ प्रस्तावित उपाय:
गूगल का जवाब
गूगल ने इन प्रस्तावों को “कट्टरपंथी दखल” करार दिया, जिससे अमेरिकी टेक्नोलॉजी लीडरशिप को नुकसान होगा। गूगल के ग्लोबल अफेयर्स अध्यक्ष केंट वॉकर ने कहा, “DOJ का प्रस्ताव कोर्ट के फैसले से बहुत आगे निकल गया है और इससे गूगल के कई प्रोडक्ट टूट सकते हैं।”
गूगल अपनी ओर से 20 दिसंबर तक जवाब दाखिल करेगा, जबकि जज मेहता इस मामले में अंतिम फैसला 2025 की गर्मियों तक देंगे।
गूगल का दबदबा
ट्रंप प्रशासन और DOJ का मामला
यह मामला पहली बार ट्रंप प्रशासन के दौरान दर्ज किया गया था। विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप के फिर से राष्ट्रपति बनने के बावजूद इस केस पर DOJ का रुख बरकरार रहेगा।
प्रतिस्पर्धा बहाल करने की संभावनाएं
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर सरकार के प्रस्ताव लागू होते हैं, तो गूगल के प्रतिस्पर्धियों और नए प्लेयर्स को ऑनलाइन सर्च मार्केट में जगह बनाने का मौका मिलेगा। अमेरिकी न्याय विभाग और कुछ राज्यों ने तर्क दिया कि इन उपायों से सर्च और विज्ञापन बाजार में प्रतिस्पर्धा को फिर से सक्रिय किया जा सकेगा, जो गूगल की रणनीतियों की वजह से खत्म हो गई थी।