Google ने अपना एक नया डिजिटल वॉलेट ऐप, “Google वॉलेट” भारत में लॉन्च कर दिया है। ये ऐप आपकी निजी जानकारी, जैसे लॉयल्टी कार्ड्स, ट्रैवल टिकट्स, आईडीज़ और बहुत कुछ सुरक्षित रूप से एक ही जगह पर स्टोर करने की सुविधा देता है। हालांकि, Google ने ये साफ कर दिया है कि Google वॉलेट के आने से उनके पहले से ही लोकप्रिय यूपीआई ऐप, Google पे पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
Google Wallet गूगल पे से किस तरह अलग है?
गूगल वॉलेट और गूगल पे को लेकर थोड़ा कन्फ्यूजन हो सकता है, तो आइए इसे आसान बनाते हैं। गूगल वॉलेट एक तरह से आपका सुरक्षित डिजिटल वॉलेट है। यहां आप अपने जरूरी कार्ड्स, पास, टिकट, चाबियों (keys) की जानकारी स्टोर कर सकते हैं और उन्हें आसानी से इस्तेमाल कर सकते हैं। वहीं, गूगल पे पैसे और वित्तीय चीज़ों को मैनेज करने का तरीका है। इससे आप दोस्तों-रिश्तेदारों को पैसे भेज सकते हैं, रिवॉर्ड्स कमा सकते हैं, शॉपिंग ऑफ़र्स ढूंढ सकते हैं और अपने खर्च पर नज़र रख सकते हैं।
आसान शब्दों में, गूगल पे आपके लिए बैंक और पेमेंट का साथी है, जबकि गूगल वॉलेट आपके ज़रूरी कार्ड्स और पास को संभालने वाला डिजिटल वॉलेट है। आप अपनी ज़रूरत के हिसाब से दोनों में से किसी का भी इस्तेमाल कर सकते हैं!
Google Wallet का भारत में इस्तेमाल कैसे किया जाए?
अगर आप पिक्सेल स्मार्टफोन इस्तेमाल करते हैं तो गूगल वॉलेट पहले से ही आपके फोन में आएगा। वहीं, दूसरे फोन इस्तेमाल करने वालों के लिए ये ऐप गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध है। हालांकि, अभी इसे आप अपनी स्मार्ट वॉच पर इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे।
गूगल वॉलेट की खास बात ये है कि आप इससे PVR, Flipkart, Air India जैसी कंपनियों के टिकट और वाउचर खरीद सकते हैं।
Google Wallet का इतिहास
गूगल वॉलेट ऐप सबसे पहले 2011 में आया था, लेकिन 2018 में इसे Android Pay के साथ मिलाकर गूगल पे बना दिया गया। उसी साल, भारत में खासतौर पर UPI पेमेंट के लिए Google Tez ऐप लॉन्च हुआ, जिसे बाद में गूगल पे बना दिया गया। मतलब, एक तरह से दुनिया के लिए एक गूगल पे (बाकी पेमेंट्स के लिए) और भारत के लिए दूसरा गूगल पे (सिर्फ UPI के लिए) मौजूद था। फिर 2022 में, गूगल ने अपने वैश्विक गूगल पे ऐप का नाम बदलकर गूगल वॉलेट कर दिया।