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अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए AI पर काम कर रही इंडियन आर्मी, जानें कैसे नई टेक्नोलॉजी बनेगी मददगार

सेना रोबोटिक सर्विलांस प्लेटफॉर्म, ऑटोनोमस लड़ाकू वाहन और मानव-मानव रहित क्लीनिंग सॉल्यूशंस जैसे प्रोजेक्ट पर भी काम कर रही है।

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बीएस वेब टीम   
Last Updated- March 11, 2024 | 4:48 PM IST

सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने हाल ही में एनडीटीवी के पहले रक्षा शिखर सम्मेलन में कहा कि भारतीय सेना के टॉप अधिकारी वर्तमान में ऐसे तरीकों की खोज कर रहे हैं जिनसे वे ‘मोबिलिटी और प्रोटेक्शन’ में सुधार के लिए AI का उपयोग कर सकें। उन्होंने कहा कि नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग, चेहरे की पहचान, वाहन ट्रैकिंग, सैटेलाइट इमेजरी एनालिसिस और अन्य ऑटोनोमस सिस्टम उन AI प्रोजेक्ट में से हैं जिन पर वे वर्तमान में काम कर रहे हैं।

उन्होंने आगे कहा, भारतीय सेना अगले 20-25 सालों के लिए एक AI रोडमैप तैयार कर रही है। यह रोडमैप सेना को अधिक आधुनिक और तकनीकी रूप से एडवांस बनाने में मदद करेगा।

सेना रोबोटिक सर्विलांस प्लेटफॉर्म, ऑटोनोमस लड़ाकू वाहन और मानव-मानव रहित क्लीनिंग सॉल्यूशंस जैसी परियोजनाओं पर भी काम कर रही है। इसके अलावा, सेना हाई पावर्ड कंप्यूटिंग AI क्लाउड विकसित करने के लिए एक त्रि-सेवा परियोजना शुरू कर रही है। सेना 5G कम्युनिकेशन, ट्रेनिंग और ऑपरेशन में इसके उपयोग की भी खोज कर रही है।

उन्होंने आगे कहा, सीमा निगरानी के लिए सेना ड्रोन और सेंसर का इस्तेमाल कर रही है। सेना के पास अब स्वार्म ड्रोन और नए तोपखाने हैं। रात में लड़ने की क्षमता भी बढ़ाई गई है। सैनिकों के बीच संचार बेहतर बनाने के लिए सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जा रहा है। सेना इलाके के हिसाब से इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली और ड्रोन-रोधी प्रणाली भी तैनात कर रही है। लॉजिस्टिक ड्रोनों को नियोजित करके लॉजिस्टिक क्षमताओं और एफिसिएंसी को बढ़ाया जा रहा है।

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नई टेक्नॉलजी सेना की कैसे मदद करेगी?

नए हथियारों और उपकरणों से सेना रात में भी दुश्मनों को देख और मार सकती है। इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियों से सेना दुश्मन के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को जाम कर सकती है। ड्रोन-रोधी प्रणालियों से सेना दुश्मन के ड्रोन को मार गिरा सकती है।

लॉजिस्टिक ड्रोन से सेना सैनिकों को भोजन, गोला-बारूद और अन्य सामान जल्दी और आसानी से पहुंचा सकती है। ड्रोन और नए तोपखाने से सेना दुश्मन पर अधिक सटीक और शक्तिशाली हमला कर सकती है। स्वार्म ड्रोन और सेंसर से सेना को सीमा पर दुश्मनों की गतिविधियों पर नजर रखने में मदद मिलती है।

आधुनिक तकनीक को अपनाने और आत्मनिर्भरता विकसित करने पर ज़ोर देते हुए सेना प्रमुख ने 2030 तक पुराने और अत्याधुनिक उपकरणों के अनुपात को बदलने की योजना बनाई है। उन्होंने कहा कि सभी पुराने प्लेटफॉर्मों को एक साथ बदलना संभव नहीं है, इसलिए धीरे-धीरे बदलाव लाया जाएगा।

भारत की नहीं बल्कि अमेरिका की आर्मी भी AI पर प्रयोग कर रही है। अमेरिकी सेना OpenAI द्वारा विकसित जेनरेटिव AI समाधान का परीक्षण युद्ध की योजना बनाने में कर रही है। इसके लिए वे वीडियो गेम की मदद ले रहे हैं। वीडियो गेम वास्तविक दुनिया की तरह ही जटिल परिस्थितियों को पेश करते हैं। जेनरेटिव AI समाधान को विभिन्न परिस्थितियों में परखा जा सकता है। इससे यह पता चल सकेगा कि यह समाधान युद्ध योजना में कितना उपयोगी है।

First Published : March 11, 2024 | 4:48 PM IST