देश में 5जी के लॉन्च के एक साल के भीतर ही फिक्स्ड फाइबर ब्रॉडबैंड से जुड़े स्मार्टफोन पर डाउनलोड की रफ्तार तेज हुई है। ऊकला के स्पीडटेस्ट ग्लोबल इंडेक्स के अनुसार, अगस्त में देश में मोबाइल डेटा के लिए औसत डाउनलोड रफ्तार 50.21 एमबीपीएस थी, जो फिक्स्ड ब्रॉडबैंड कनेक्शन के 54.17 एमबीपीएस से कुछ ही अंक पीछे थी।
अधिकांश दूरसंचार कंपनियों का कहना है कि यह जल्द ही फिक्स्ड ब्रॉडबैंड के डाउनलोड रफ्तार को पार कर जाएगी क्योंकि 5जी का दायरा मौजूदा 360,000 टावरों के बजाय 400,000 टावर के स्तर को पार कर जाएगा। एक साल पहले, अक्टूबर में दोनों मंचों के बीच का अंतर तीन गुना था और फिक्स्ड ब्रॉडबैंड पर 48.19 एमबीपीएस की तुलना में मोबाइल की रफ्तार केवल 16.50 एमबीपीएस (4जी पर) थी।
5जी मोबाइल पर स्पीड की वृद्धि के चलते ही ऊकला स्पीडटेस्ट वैश्विक रैंकिंग में भारत पिछले साल अक्टूबर के 113 पायदान से आज 47वें पायदान पर पहुंच गया है। इसी अवधि के दौरान, फिक्स्ड ब्रॉडबैंड की रफ्तार पिछले साल अक्टूबर में 79 से घटकर अगस्त में 86 हो गई है क्योंकि फिक्स्ड ब्रॉडबैंड की रफ्तार में मामूली रूप से केवल 12 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। दिलचस्प बात यह है कि औसत रफ्तार के आधार पर भारत की 5जी मोबाइल डाउनलोड रफ्तार 43.20 एमबीपीएस के वैश्विक औसत से बहुत आगे थी। लेकिन फिक्स्ड ब्रॉडबैंड के लिहाज से भारत वैश्विक औसत से काफी पीछे रहा क्योंकि यह रफ्तार बेहद धीमी गति से बढ़कर 82.77 एमबीपीएस हो गई है।
संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को दिए साक्षात्कार में 5जी के आने के बाद इस्तेमाल के नए रुझानों के बारे में कहा कि कई सबस्क्राइबर वाईफाई के बजाय अब 5जी के साथ मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे हैं।
हालांकि, एयरटेल और रिलायंस जियो के फिक्स्ड वायरलेस ब्रॉडबैंड (एफडब्ल्यूए) के लॉन्च से इस खेल में बदलाव आ सकता है। एफडब्ल्यूए का विस्तार तेजी से हो रहा है क्योंकि सुदूर इलाके में फाइबर वाली कनेक्टिविटी की जगह 5जी स्पेक्ट्रम (3.5 गीगाहर्ट्ज) को लेना है, खासतौर पर उन इलाकों में जहां ग्राहकों को अधिक इंटरनेट स्पीड की आवश्यकता होती है।
जियो फाइबर ऑफर (जो एफडब्ल्यूए है) ने 300 एमबीपीएस से 1 जीबी के बीच की रफ्तार का वादा किया है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि मिलीमीटर बैंड का कवरेज कम लेकिन रफ्तार ज्यादा है पर यह 1 जीबी से अधिक हो सकता है।
मिलीमीटर बैंड का उपयोग कॉरपोरेट जगत के लोग प्राइवेट नेटवर्क करते हैं और इसके अलावा इसका उपयोग बहुत अधिक जनसंख्या घनत्व वाले क्षेत्रों में किया जाता है जहां उच्च रफ्तार वाले इंटरनेट की जरूरत होती है। लेकिन एक ही मिलीमीटर बैंड का इस्तेमाल स्मार्टफोन की रफ्तार बढ़ाने और एफडब्ल्यूए की तरह ही अधिक स्पीड देने के लिए किया जा सकता है। फिलहाल, देश में मिलीमीटर बैंड द्वारा संचालित कोई फोन नहीं है। विदेशों में भी यह केवल सीमित तादाद में उपलब्ध हैं।
मोबाइल बनाने वाली कंपनियों का कहना है कि इसके जुड़ने से फोन की लागत 20-40 डॉलर तक बढ़ जाएगी। हालांकि एयरटेल या रिलायंस जियो ने अभी तक सुपर हाई स्पीड के साथ मिलीमीटर बैंड पर 5 जी की घोषणा नहीं लेकिन उन्होंने निजी तौर पर कहा है कि यह अगले 2-3 वर्षों में उपलब्ध होगा।