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Elon Musk India Visit: ईलॉन मस्क (Elon Musk) ने 2020 में ही भारत में दस्तक देने का प्रयास शुरू कर दिया था। 2 अक्टूबर 2020 को भारत में टेस्ला के एक प्रशंसक समूह ने एक्स (पहले ट्विटर) पर ईलॉन मस्क से भारत में उनकी कंपनियों के प्रवेश की प्रगति को लेकर सवाल पूछा था। इसका जवाब देते हुए मस्क ने कहा था ‘अगले साल एकदम पक्का’।
हालांकि भारत आने को लेकर उनकी दिलचस्पी की आधिकारिक पुष्टि केंद्रीय सड़क एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी द्वारा टेस्ला के भारत आने की योजना की घोषणा के दो महीने बाद हुई। गडकरी ने कहा था कि टेस्ला की अगले साल भारत में अपनी कारों की बिक्री के लिए वितरण नेटवर्क शुरू करने की योजना है और मांग को देखते हुए कंपनी विनिर्माण कारखाना भी लगाएगी।
लेकिन सरकार के साथ खींचतान और अस्थायी तौर पर देश में आने की योजना टालने के करीब करीब साढ़े तीन साल बाद मस्क रविवार को दो दिवसीय यात्रा पर भारत आ रहे हैं। इस दौरान वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात करेंगे।
कयास लगाया जा रहा है कि मस्क इस दौरे में भारत में कार और बैटरी कारखाना लगाने के लिए निवेश की भी घोषणा करेंगे। इसके साथ ही उपग्रह आधारित मोबाइल ब्रॉडबैंड सेवा स्टारलिंक को देश में शुरू करने के एजेंडे को भी आगे बढ़ा सकते हैं।
स्टारलिंक दुनिया के 70 देशों में पहले से ही सेवाएं दे रही है। कंपनी ने जीएमसीएस लाइसेंस के लिए नवंबर 2022 में आवेदन किया था लेकिन अभी तक उसे सरकार से हरी झंडी नहीं मिली है।
मस्क के लिए यह उतार-चढ़ाव भरा सफर रहा है। 2021 में मस्क ने देश में शोरूम खोलने और टेस्ला की कारें आयात कर देश में बेचने की योजना बनाई थी। इसके लिए टेस्ला ने बेंगलूरु में टेस्ला इंडिया मोटर्स ऐंड एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड के नाम से पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक इकाई बनाई थी। इसे सरकार से कंपनी की दो कारों मॉडल 3 और मॉडल वाई के लिए होमोलॉगेशन प्रमाण पत्र भी मिल गया था। होमोलॉगेशन प्रमाणपत्र का मतलब है कि उक्त कारें भारत की सड़कों पर चलने के लिए उपयुक्त हैं।
लेकिन इसके बाद टेस्ला की असली मुश्किलें शुरू हुईं। टाटा और मारुति सुजूकी जैसी देसी कार कंपनियों ने वाहन विनिर्माताओं के संगठन सायम के जरिये सरकार को पत्र लिखकर शिकायत की कि आयातित वाहनों के साथ देश में टेस्ला को आने की अनुमति देना सबके लिए समान अवसर की भावना के अनुकूल नहीं है, खास तौर पर कड़े स्थानीयकरण नियमों को देखते हुए।
टेस्ला की एकल ब्रांड रिटेल स्टोर खोलने की योजना भी जांच के दायरे में आ गई क्योंकि इस नियम के तहत अनिवार्य 30 फीसदी सोर्सिंग की जरूरत के बजाय वैश्विक परिचालन के लिए भारत से माल की आपूर्ति बंद करने की बात कही गई थी। सवाल यह था कि क्या टेस्ला ने ऐसा करने के लिए भारत से पर्याप्त कलपुर्जे खरीदे थे।
बार-बार आ रही अड़चन को देखते हुए टेस्ला ने नाखुशी जताते हुए कई ट्वीट के जरिये कहा कि भारत में पूरी तरह से बनी कारों के आयात (सीबीयू) पर शुल्क दुनिया में सबसे अधिक 60 से 100 फीसदी के बीच है। वह इसे कम कर 40 फीसदी कराना चाह रहे थे और इलेक्ट्रिक तथा पेटोल-डीजल वाहनों के लिए अलग-अलग सीमा शुल्क ढांचे की मांग की।
लेकिन सरकार इस पर सहमत नहीं हुई और मस्क से स्पष्ट तौर पर कहा कि पहले उन्हें भारत में वाहनों का विनिर्माण करना चाहिए न कि कि चीन से वाहनों को आयात कर शुल्क घटाने की मांग करनी चाहिए। 2020 तक स्पष्ट हो गया कि मस्क ने भारत आने की अपनी योजना ठंडे बस्ते में डाल दी और उसी साल मई में कहा कि वह किसी भी देश में विनिर्माण कारखाना नहीं लगाएंगे जब तक कि उन्हें अपने वाहनों को बेचने और सर्विस करने की अनुमति नहीं मिलती है। और उन्होंने भारत की टीम को अन्य देशों में भेज दिया।
जून 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मस्क की मुलाकात के बाद टेस्ला की भारत आने की योजना पर फिर से सुगबुगाहट शुरू हुई। मस्क ने कहा कि ‘मैं प्रधानमंत्री मोदी का प्रशंसक हूं।’ इसके साथ ही उन्होंने देश में निवेश के भी संकेत दिए। इसके एक महीने पहले देश से सोर्सिंग दोगुनी करने की संभावना तलाशने टेस्ला के शीर्ष अधिकारी भारत आए थे और प्रधानमंत्री कार्यलय तथा अन्य शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात की थी।
गहन बातचीत के बाद सरकार ने घरेलू कार विनिर्माताओं के हितों की रक्षा करते हुए टेस्ला जैसी कंपनियों के देश में आने के लिए नियम भी सरल किए। नई ईवी नीति में 35,000 डॉलर कीमत वाली कारों पर आयात शुल्क कम किया गया। लेकिन ऐसी कारें आयात करने वाली कंपनी को तीन साल में कम से कम 50 करोड़ डॉलर का निवेश कर देश में कारखाना लगाना होगा और 5 साल में घरेलू मूल्यवर्धन 50 फीसदी तक करना होगा।
मस्क सैटेलाइट ब्रॉडबैंक सेवाओं को शुरू करने को लेकर भी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। स्टारलिंक ने 2021 में योजना बनाई थी कि भारत में उसके 2 लाख उपकरण होंगे जिनमें से 80 फीसदी दिसंबर 2022 तक ग्रामीण इलाकों में लगाए जाएंगे। लेकिन यह योजना जमीनी स्तर पर लागू नहीं हो पाई। मस्क ने अपनी राणनीति बदली और बी2बी लाइसेंस के लिए आवेदन किया।
सरकार के साथ टेस्ला की औपचारिक बातचीत शुरू केंद्र के साथ अपनी पहली आधिकारिक बातचीत में ईलॉन मस्क के नेतृत्व वाली टेस्ला और अन्य वैश्विक वाहन विनिर्माताओं ने नई इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) नीति के संबंध में सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है, खास तौर पर निवेश के दिशानिर्देशों और घरेलू मूल्य संवर्धन (डीवीए) की जरूरत के लिए समयसीमा के संबंध में।
बैठक में भाग लेने वाले अधिकारियों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि मूल उपकरण विनिर्माताओं (ओईएम) ने यह समझने की कोशिश की कि क्या पूरा निवेश तीन या पांच साल के भीतर किया जाएगा और 50 प्रतिशत घरेलू मूल्य संवर्धन हासिल करने की अवधि कितनी होगी।