सरकार दूरसंचार विधेयक 2022 के प्रारूप में प्रमुख उपबंधों पर विचार कर रही है। सरकार देख रही है कि क्या ये उपबंध दूरसंचार स्पेक्ट्रम को नीलाम करने की आवश्यकता से संबंधित सर्वोच्च न्यायालय के 2012 के आदेश के अनुरूप हैं।
वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘हम देख रहे हैं कि क्या विधेयक के कुछ हिस्से सर्वोच्च न्यायालय के आदेश व दिशानिर्देशों के अनुरूप खरे उतर पाएंगे। यदि खरे नहीं उतर पाएंगे तो इनमें बदलाव के लिए चर्चा करनी होगी। हम विधेयक में बदलाव कर रहे हैं। यह विधेयक 100 साल से अधिक समय तक रहेगा। लिहाजा हम किए जाने वाले बदलावों को लेकर आश्वस्त होना चाहते हैं।’
वर्तमान समय में विधेयक यह स्पष्ट करता है कि सरकार दूरसंचार के स्पेक्ट्रम के प्रंबधन के मामले में नीलामी या सार्वजनिक हित में सरकारी उद्देश्य की प्रशासनिक प्रक्रिया या अनुसूची 1 की जरूरतों या किसी अन्य अन्य कारण से दूरसंचार कंपनियों को आबंटन भी कर सकती है।
अनुसूची 1 स्पष्ट करती है कि सरकार कार्यक्रमों या सार्वजनिक हित या जरूरत होने पर आबंटन दे सकती है। इन क्षेत्रों में दूरसंचार सेवाओं के रेडियो बैकहाल, चुनिंदा सेटलाइट आधारित सेवाओं जैसे टेलीपोटर्स, डायरेक्ट-टू-होम, वीएसएटी, एल और एस बैंड में मोबाइल सेटलाइट सेवाएं, राष्ट्रीय सुरक्षा, रक्षा और सरकार के शामिल करने पर कोई भी कार्यक्रम शामिल किया जाना चाहिए।
हालांकि सर्वोच्च न्यायालय का आदेश इन विकल्पों का उल्लेख नहीं है। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार दूरसंचार के स्पेक्ट्रम को नीलाम किया जाना चाहिए।
अधिकारी ने कहा, ‘सवाल यह है कि विधेयक – जो दोनों विकल्प देता है – कानूनी परीक्षा को सफल कर पाता है। न्यायालय के आदेश के अनुसार नीलामी सर्वश्रेष्ठ तरीका है।