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Dollar Vs Rupee: एक महीने के निचले स्तर पर लुढ़का रुपया

बुधवार को भारतीय रुपया हालांकि 0.40 फीसदी टूटा, लेकिन यह अभी भी कई एशियाई मुद्राओं के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन करने वाली मुद्रा है।

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अंजलि कुमारी   
Last Updated- August 02, 2023 | 10:24 PM IST

डॉलर के मुकाबले रुपया (USD Vs INR) बुधवार को 33 पैसे की बड़ी गिरावट के साथ एक महीने के निचले स्तर 82.59 पर टिका। सुरक्षित मानी जाने वाली मुद्रा डॉलर की मांग के कारण ऐसा हुआ क्योंकि अमेरिका की क्रेडिट रेटिंग फिच (Fitch) ने एएए से घटाकर एए प्लस कर दी है और एजेंसी ने इसके लिए अगले तीन साल में वित्तीय स्थिति में होने वाली संभावित गिरावट का हवाला दिया है।

डीलरों ने कहा, इससे निवेशकों ने जोखिम लेने से परहेज किया। साथ ही तेल कंपनियों की डॉलर मांग को भी देसी मुद्रा में कमजोरी की वजह मानी जा रही है। मंगलवार को भारतीय रुपया 82.26 पर बंद हुआ था।

सीआर फॉरेक्स के प्रबंध निदेशक अमित पबरी ने कहा, पिछले चार-पांच कारोबारी सत्रों में डॉलर की मांग बढ़ी है, जिसके कारण रुपया दबाव में आ गया। आरबीआई की तरफ से 81.67 के स्तर पर शुरुआती हस्तक्षेप के बाद तेल कंपनियों, कॉरपोरेट और आयातकों ने डॉलर लेना शुरू कर दिया।

रुपया अभी भी एशियाई मुद्राओं के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन करने वाली करेंसी

बुधवार को भारतीय रुपया हालांकि 0.40 फीसदी टूटा, लेकिन यह अभी भी कई एशियाई मुद्राओं के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन करने वाली मुद्रा है। कोटक सिक्योरिटीज के उपाध्यक्ष (करेंसी डेरिवेटिव व ब्याज दर वायदा) ए. बनर्जी ने कहा, भारतीय रुपया अवमूल्यित है, ऐसे में गिरावट के समय यह बहुत ज्यादा मूल्यवान नहीं होगा।

दक्षिण करियाई वॉन, फिलिपींस का पेसो और मलेशियाई रिंगिट में क्रमश: 1.10 फीसदी, 0.72 फीसदी और 0.52 फीसदी की गिरावट आई। इसके अलावा भारतीय रुपये ने अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों में उछाल का दबाव भी महसूस किया, जो करीब 85 डॉलर प्रति बैरल है।
भारत अपनी जरूरतों का 80 फीसदी आयात करता है और उसने रूस से तेल आयात में खासी बढ़ोतरी देखी है क्योंकि यूरोप में पिछले साल से ही युद्ध चल रहा है।

रूस के पास भारतीय रुपये का काफी ज्यादा सरप्लस

कयास लगाए जा रहे हैं कि रूस के पास भारतीय रुपये का काफी ज्यादा सरप्लस है, जो करीब 20 से 30 अरब डॉलर का हो सकता है और डीलरों का कहना है कि वह इन फंडों को वापस अपने देश ले जा सकता है। जुलाई में भारत के कुल आयात में रूसी तेल की हिस्सेदारी 41.9 फीसदी रही।

पबरी ने कहा, डॉलर की मौजूदा मांग रुपये में कमजोरी के अनुमान से है, जिसकी वजह विदेशी निकासी है, अगर रूस भारत सरकार के बॉन्ड में निवेश की निकासी शुरू करता है।

हालांकि रूसी तेल पर छूट काफी हद तक खत्म हुआ है, जो रूस से तेल की खरीद अव्यवहारिक बना रहा है। यह छूट घटकर अब 5 डॉलर प्रति बैरल से भी कम रह गया है, जो पिछले साल 30-35 डॉलर था, जिससे भारतीय आयातक पश्चिम एशियाई देशों की ओर बढ़ने को प्रोत्साहित हुए थे। डीलरों ने यह जानकारी दी।

अमेरिका की खुदरा बिक्री व बेरोजगारी दावे के आंकड़ों से पहले रुपये की ट्रेडिंग डॉलर के मुकाबले 82.40 से 82.80 के दायरे में हो सकती है। निवेशकों की नजर बैंक ऑफ इंग्लैंड के मौद्रिक नीति पर फैसले पर भी होगी। केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में 25 आधार अंकों का इजाफा कर सकता है।

First Published : August 2, 2023 | 10:24 PM IST