सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI) ने रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया जैसी देशी की प्रमुख दूरसंचार कंपनियों से अनुरोध किया है कि वे अपने नेटवर्क पर चार बड़ी उपयोगकर्ताओं – अल्फाबेट, एमेजॉन, मेटा और नेटफ्लिक्स द्वारा उपभोग की जाने वाली बैंडविड्थ की मात्रा का डेटा प्रदान करें।
इस कदम की पुष्टि करते हुए सीओएआई के महानिदेशक एसपी कोचर ने कहा कि इसका मकसद सभी हितधारकों और सरकार के लिए भी जानकारी को सार्वजनिक डोमेन में लाना है।
अपने सदस्यों के फीडबैक के आधार पर मोटे तौर पर सीओएआई का आकलन यह है कि उनके नेटवर्क पर 70 से 80 प्रतिशत बैंडविड्थ का उपभोग इन चार उपयोगकर्ताओं द्वारा किया जाता है।
संगठन यह मांग कर रहा है कि ओटीटी (ओवर-द-टॉप कंपनियों) को दूरसंचार नेटवर्क का उपयोग करने के लिए दूरसंचार कंपनियों को अपने राजस्व का एक हिस्सा देना चाहिए। इसने कहा है कि इस संबंध में वैश्विक स्तर पर दक्षिण कोरिया में इसकी मिसाल है तथा यूरोपीय संघ में भी इस पर चर्चा चल रही है।
दक्षिण कोरिया में एसके ब्रॉडबैंड और नेटफ्लिक्स, जिन्होंने नेटवर्क से संबंधित स्ट्रीमिंग लागत को लेकर अदालत में लड़ाई लड़ी, अब समझौते पर आ गए हैं। हालांकि इसकी वित्तीय शर्तों का खुलासा नहीं किया गया है। इस साल की शुरुआत में यूरोपीय आयोग ने डेटा के बड़े उपयोगकर्ताओं से नेटवर्क लागत में उचित योगदान के लिए किसी व्यवस्था के संबंध में राय जुटाना शुरू किया था।
अमेरिका की नेटवर्क इंटेलिजेंस कंपनी सैंडवाइन के अनुसार वर्ष 2021 में 57 प्रतिशत से अधिक डेटा ट्रैफिक में गूगल, नेटफ्लिक्स, ऐपल, फेसबुब, एमेजॉन और माइक्रोसॉफ्ट का योगदान था, जबकि वर्ष 2019 में यह 33 प्रतिशत था। वर्ष 2021 में इस तालिका में यूट्यूब सबसे ऊपर थी तथा उसके बाद फेसबुक और नेटफ्लिक्स का स्थान था।
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने जुलाई में एक परामर्श पत्र पेश किया था, जिसका शीर्षक था – ओटीटी संचार सेवाओं के लिए नियामकीय व्यवस्था और ओटीटी सेवाओं पर चुनिंदा प्रतिबंध। इसने हितधारकों से इस पत्र टिप्पणी करने के लिए कहा था।
सीओएआई ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा था कि ओटीटी सेवाओं के कारण दूरसंचार कंपनियों के राजस्व में कमी आई है। इसमें बताया गया है कि हालांकि दूरसंचार सेवा प्रदाता बढ़ते डेटा ट्रैफिक को बनाए रखने के लिए बड़ा पूंजी निवेश करते हैं, लेकिन ओटीटी ने पारंपरिक राजस्व स्रोतों को कम कर दिया है।
बड़ी कंपनियों के इस तर्क को खारिज करते हुए कि दूरसंचार कंपनियों का यह कदम नेट न्यूट्रैलिटी का उल्लंघन है, सीओएआई ने कहा कि राजस्व के उचित हिस्से की मांग करना नेट न्यूट्रैलिटी का उल्लंघन नहीं है या नवाचार में बाधा नहीं डालता है। यही वजह है कि वह सभी ओटीटी से राजस्व का हिस्सा नहीं मांग रहा है, बल्कि केवल उन बड़े ट्रैफिक जनरेटरों से यह मांग कर रहा है, जिनका टैरिफ अत्यधिक है।