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गेहूं का रकबा 12 फीसदी बढ़ा

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बीएस संवाददाता
Last Updated- January 21, 2023 | 9:35 AM IST

आटा मिल संचालक गेहूं का सरकारी भंडार कम करने के केंद्र के फैसले का इंतजार कर रहे हैं ताकि आटे की कीमतें कम हो सके। इसी बीच 20 जनवरी को खत्म हुए सप्ताह के दौरान अप्रैल से शुरू होने वाले विपणन सत्र के लिए फसल की बोआई 3.41 करोड़ हेक्टेयर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है।

यह सामान्य क्षेत्र से 12 फीसदी ज्यादा है और हाल के वर्षों में सर्वाधिक है। सामान्य क्षेत्र पिछले पांच वर्षों का औसत क्षेत्र है। लेकिन, 2022 की तुलना में गेहूं का रकबा सिर्फ 0.38 फीसदी अधिक है।

देश के अधिसंख्य हिस्सों में रबी फसलों की बोआई लगभग समाप्त होने के बाद से क्षेत्र में कोई महत्त्वपूर्ण वृद्धि होने की बहुत कम संभावना है।

जल्दी बोई जाने वाली गेहूं की फसल गुजरात में फरवरी के अंत से बाजार में आनी शुरू हो जाएगी, उसके बाद मध्य प्रदेश और राजस्थान में।

इस बीच, सूत्रों ने कहा कि केंद्र अपने भंडार से कितना गेहूं निकालने की योजना बना रहा है, इस पर अंतिम फैसला एक या दो दिन में लिया जाएगा और कीमत 24 रुपये प्रति किलोग्राम के आसपास रहने की उम्मीद है।

यह उत्तर भारत में औसत गुणवत्ता वाले गेहूं के मौजूदा बाजार मूल्य 30 रुपये प्रति किलोग्राम से काफी कम होगा।

बाजार को उम्मीद है कि सरकार खुले बाजार में बिक्री योजना (ओएमएसएस) के माध्यम से अपने भंडार से करीब 20 लाख टन गेहूं का परिसमापन करेगी।

बिक्री को निविदाओं की एक प्रक्रिया के माध्यम से निष्पादित किया जा सकता है।

एक व्यापारी ने कहा, ‘ऐसा लगता है कि हालांकि बिक्री के लिए सभी मंजूरी दे दी गई है लेकिन कुछ तौर-तरीकों पर अभी भी काम करने की जरूरत है जिससे प्रक्रिया में देरी हो सकती है।’ उन्होंने कहा कि अगर गेहूं बेचने के लिए दो-तीन निविदा भी निकाले जाते हैं, तो इससे कीमतें तुरंत नीचे आ जाएंगी।

व्यापारी ने कहा, ‘सप्ताह में कम से कम एक निविदा कीमतों को नियंत्रित करने के लिए एक लंबा रास्ता तय करेगी जो पिछले कुछ दिनों में तेजी से बढ़ी है।’

इस बीच, खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने गुरुवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि केंद्र गेहूं और आटे की कीमतों में बढ़ोतरी को देख रहा है और इसे कम करने के लिए सभी संभावित उपायों पर विचार कर रहा है। इस बीच, गेहूं की फसल पर, सूत्रों ने कहा कि देश के अधिसंख्य हिस्सों में फसल की स्थिति बहुत अच्छी है और अगर फरवरी या मार्च से तापमान में तेजी से वृद्धि नहीं होती है तो भारत में बंपर फसल होने की संभावना है।

व्यापारी ने कहा, ‘मेरे लिए ओएमएसएस रूट के माध्यम से बिक्री दिन-प्रतिदिन कम होती जा रही है और सरकार को तेजी से कार्रवाई करनी चाहिए। यदि निजी व्यापारी 2023-24 के लिए आधिकारिक एमएसपी 2,125 रुपये प्रति क्विंटल से से अधिक भुगतान करते हैं तो आने वाले वर्ष के लिए सरकार को भंडार भरना भी मुश्किल हो सकता है।

 

First Published : January 21, 2023 | 9:35 AM IST