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Currency Market: रुपया नए निचले स्तर पर, फिर भी एशियाई करेंसी में दूसरा सबसे बेहतर प्रदर्शन

थाई बहत और जापानी येन की तुलना में रुपये की गिरावट कम रही। इन मुद्राओं में क्रमशः 1.92 प्रतिशत और 1.66 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।

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अंजलि कुमारी   
Last Updated- November 06, 2024 | 9:22 PM IST

बुधवार को रुपये में 0.20 प्रतिशत की गिरावट आई और यह एक डॉलर के मुकाबले 84.28 के नए निचले स्तर पर बंद हुआ। यह 20 जून के बाद की सबसे बड़ी एक दिवसीय गिरावट रही। हालांकि, हांगकांग डॉलर के बाद रुपया एशिया की सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाली मुद्रा रहा। मंगलवार को रुपया 84.11 पर बंद हुआ था।

थाई बहत और जापानी येन की तुलना में रुपये की गिरावट कम रही। इन मुद्राओं में क्रमशः 1.92 प्रतिशत और 1.66 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।

स्थानीय मुद्रा में गिरावट का कारण रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप का 47वें अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में जीतना है। ट्रंप को मजबूत डॉलर का समर्थक माना जाता है, और उनके कुछ नीतिगत रुख से अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में तेजी का अनुमान है, जिससे उधारी लागत, महंगाई और यील्ड में वृद्धि हो सकती है।

ट्रंप ने सभी देशों से आयातित सामानों पर 10 प्रतिशत का शुल्क लगाने और चीनी वस्तुओं पर 60 प्रतिशत की ड्यूटी लगाने का वादा किया है।

इस बीच, अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड 4.48 प्रतिशत तक बढ़ गई, जो बाद में 4.44 प्रतिशत पर स्थिर हो गई। वहीं, डॉलर इंडेक्स 105.32 तक चढ़ा और बाद में 104.95 पर पहुंच गया।

जना स्मॉल फाइनेंस बैंक के ट्रेजरी और कैपिटल मार्केट्स प्रमुख गोपाल त्रिपाठी ने कहा, “पिछले दो साल से रुपया एक सीमित दायरे में कारोबार कर रहा था और थोड़ा अधिक रेटेड भी था। लेकिन अब डॉलर इंडेक्स के बढ़ने और अन्य एशियाई मुद्राओं के कमजोर होने से रुपये पर भी असर पड़ेगा।”

इस वित्तीय वर्ष में रुपये में 1.04 प्रतिशत की गिरावट आई है, जबकि इस कैलेंडर वर्ष में 1.27 प्रतिशत की गिरावट हुई है।

एक सरकारी बैंक के डीलर ने बताया, “विदेशी बैंकों ने सुबह से ही डॉलर खरीदना शुरू कर दिया था। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने लगभग 84.25 पर दखल दिया, जिससे थोड़ी देर के लिए रुपये में सुधार देखा गया।” उन्होंने आगे कहा, “अगला प्रतिरोध स्तर 84.50 पर है।”

अब बाजार अमेरिकी फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (FOMC) की बैठक के नतीजों का इंतजार कर रहे हैं, जो गुरुवार को आएंगे। माना जा रहा है कि अमेरिकी फेड दरों में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती करेगा। CME फेडवॉच टूल से संकेत मिले हैं कि दिसंबर में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती की संभावना लगभग 80 प्रतिशत से घटकर 68 प्रतिशत रह गई है। घरेलू मोर्चे पर, अगले वित्तीय वर्ष में आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति द्वारा रेपो दर में कटौती की उम्मीद है।

फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स LLP के ट्रेजरी प्रमुख और कार्यकारी निदेशक अनिल कुमार भंसाली ने कहा, “देखते हैं कि फेड दरों में कटौती करता है या नहीं, विशेषकर 3.65 प्रतिशत से 4.48 प्रतिशत तक की यील्ड में भारी वृद्धि के बाद। अमेरिकी अर्थव्यवस्था ने अच्छा प्रदर्शन किया है और आने वाले दिनों में भी इसके मजबूत बने रहने की संभावना है।”

बाजार के जानकारों का कहना है कि गुरुवार को रुपये का व्यापार 84.10 से 84.40 के बीच रह सकता है, क्योंकि आरबीआई धीरे-धीरे रुपये को कमजोर होने की अनुमति देगा, लेकिन अत्यधिक अस्थिरता को रोकने का प्रयास करेगा।

First Published : November 6, 2024 | 9:22 PM IST