विश्व स्वर्ण परिषद (डब्ल्यूजीसी) के एक ताजा नोट में कहा गया है कि तेजी की स्थिति में सोने की कीमतें मौजूदा स्तर से 15 प्रतिशत तक बढ़ सकती हैं और दिसंबर 2025 के अंत तक 3,839 डॉलर प्रति औंस के स्तर तक पहुंच सकती हैं। इस तरह से सोने की कीमतों में सालाना रिटर्न 40 प्रतिशत पर पहुंच सकता है। डब्ल्यूजीसी ने कहा है, ‘यदि आर्थिक और वित्तीय हालात बिगड़ते हैं, मुद्रास्फीति दबाव और भू-आर्थिक तनाव बढ़ता है, तो सुरक्षित निवेश के विकल्प की मांग में वृद्धि हो सकती है जिससे सोने की कीमत 10-15 प्रतिशत तक बढ़ सकती है।’
अपने बेस-केस सिनेरियो में डब्ल्यूजीसी का मानना है कि सोने की कीमत कैलेंडर वर्ष 2025 की दूसरी छमाही में सीमित दायरे में बनी रह सकती हैं और यह चालू स्तरों से 0-5 फीसदी अधिक रह सकती है जो 25-30 फीसदी के सालाना रिटर्न के बराबर है। परिषद को लगता है कि वर्ष की दूसरी छमाही में निवेशक भू-आर्थिक अनिश्चितता के कारण चिंतित रहेंगे। हालांकि अमेरिकी मुद्रास्फीति के आंकड़ों में सुधार के संकेत मिले हैं। लेकिन यह चिंता बनी हुई है कि हालात जल्द बिगड़ सकते हैं।
डब्ल्यूजीसी का कहना है, ‘डॉलर से जुड़ा दबाव बने रहने की संभावना है। अमेरिका से संबंधित अनिश्चितताएं खत्म होने से जुड़े सवाल निवेशकों के जेहन में रह सकते हैं। कुल मिलाकर इन स्थितियों से सोना शुद्ध लाभार्थी बन सकता है। लेकिन जहां फंडामेंटल मजबूत हैं, वहीं सोने की कीमतों में पहले ही इन बदलावों का कुछ हद तक असर दिख चुका है। नतीजे में स्थायी संघर्ष समाधान और लगातार बढ़ती शेयर कीमतें अधिक जोखिम वाली पूंजी आकर्षित कर सकती हैं और सोने के आकर्षण को सीमित कर सकती हैं।’
गिरावट के परिदृश्य में डब्ल्यूजीसी को सोने की कीमतें वर्ष 2025 की दूसरी छमाही में 12-17 फीसदी गिरने का अनुमान है। इस के बावजूद 2025 का समापन निचले दो अंक (या एक अंक में भी) में रिटर्न के साथ सकारात्मक रह सकता है। इस बीच, 2025 की पहली छमाही में अमेरिकी डॉलर के संदर्भ में सोने की कीमतें 26 फीसदी चढ़ी हैं और सभी मुद्राओं के संदर्भ में दो अंक के रिटर्न पर पहुंच गई हैं।