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सरकार की सख्ती भी नहीं दिला पाई गेहूं की महंगाई से राहत

हालांकि मंडियों में बीते दो-तीन महीने में सरकारी सख्ती से गेहूं के थोक भाव जरूर गिरे हैं लेकिन खुदरा कीमतों पर इसका खास असर नहीं दिखा है।

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रामवीर सिंह गुर्जर   
Last Updated- February 29, 2024 | 10:38 PM IST

सरकारी सख्ती के बाद भी गेहूं की कीमतों में ज्यादा कमी नहीं आई है। सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बावजूद खुदरा बाजार में गेहूं और आटा के भाव कम होने की बजाय बढ़ गए हैं। हालांकि थोक कीमतों में जरूर कमी आई है। जानकारों का कहना है कि इस साल गेहूं का उत्पादन बढ़ने की संभावना है, जिससे आगे लोगों को कीमतों में राहत मिल सकती है।

केंद्र सरकार ने गेहूं की बढ़ती कीमतों पर लागम लगाने के लिए पिछले साल 12 जून को भंडारण सीमा लगाई थी। इसके साथ ही सरकार ने खुले बाजार में गेहूं बेचना शुरू किया था। चालू वित्त वर्ष में अभी तक करीब 84 लाख टन गेहूं खुले बाजार में बेचा जा चुका है। आम लोगों को राहत देने के लिए सरकार ने ‘भारत आटा’ नाम से 27.50 रुपये किलो के रियायती भाव पर आटा बेचना भी शुरू किया है। सरकार द्वारा उठाए गए इन कदमों के बावजूद गेहूं व आटे के दाम कम नहीं हुए।

केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के विभाग के अनुसार पिछले साल 12 जून को भंडारण सीमा लगने के दिन देश भर में गेहूं की औसत खुदरा कीमत 29.16 रुपये थी, जो अभी 30.89 रुपये किलो है। जाहिर है गेहूं के खुदरा भाव घटने के बजाय बढ़े हैं। इसी तरह भंडारण सीमा लगाने के दिन आटा की औसत खुदरा कीमत 34.40 रुपये थी जो बढ़कर 36.10 रुपये किलो हो गई है। हालांकि मंडियों में बीते दो-तीन महीने में सरकारी सख्ती से गेहूं के थोक भाव जरूर गिरे हैं लेकिन खुदरा कीमतों पर इसका खास असर नहीं दिखा है।

चालू विपणन सीजन में पिछले साल 27 अक्टूबर को दिल्ली में गेहूं के थोक भाव 2,900 रुपये प्रति क्विंटल के ऊंचे भाव पर पहुंच गए थे। इस स्तर को छूने के बाद अब गेहूं के थोक भाव 300 रुपये घटकर करीब 2,600 रुपये क्विंटल रह गए हैं। लेकिन इस दौरान भी गेहूं खुदरा बाजार में सस्ता नहीं हुआ।

उपभोक्ता मामलों के विभाग के आंकड़ों के अनुसार इस अवधि में गेहूं की औसत खुदरा कीमत 30.45 रुपये से बढ़कर 30.89 रुपये किलो हो गई। इस दौरान आटा 35.78 रुपये से बढ़कर 36.10 रुपये किलो हो गया।

उत्तर प्रदेश की हरदोई मंडी के गेहूं कारोबारी व आटा मिल मालिक संजीव अग्रवाल कहते हैं कि सरकारी अनुमान के उलट पिछले साल गेहूं की पैदावार कम थी। इसलिए सरकारी सख्ती के बावजूद गेहूं के भाव तेज रहे। हरदोई मंडी में अक्टूबर महीने में गेहूं के भाव 2,550 रुपये के ऊपरी स्तर तक चले गए थे।

गेहूं बोआई शुरू होने और इसका रकबा बढ़ने से कीमतों में नरमी आने लगी है। जानकारों के अनुसार रकबा बढ़ने के बीच अनुकूल मौसम से इस साल गेहूं का उत्पादन बढ़ सकता है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार चालू रबी सीजन में 341.57 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बोआई हुई है जबकि पिछली समान अवधि में इसका रकबा 339.20 लाख हेक्टेयर था।

कमोडिटी विशेषज्ञ इंद्रजीत पॉल कहते हैं कि गेहूं की बोआई बढ़ने के साथ ही मौसम भी इस फसल के अनुकूल है। जिससे इस साल उत्पादन बढ़ने की उम्मीद है। पिछले साल सरकारी अनुमान के मुताबिक गेहूं का उत्पादन 1,105.54 लाख टन था। लेकिन इस फसल को प्रतिकूल मौसम के कारण हुए नुकसान से कारोबारी अनुमान के मुताबिक उत्पादन 1,040 लाख टन के आसपास ही रहा।

First Published : February 29, 2024 | 10:38 PM IST