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बीते 4 महीने में डॉलर के सामने रुपये की कितनी हुई हालत खराब? सरकार ने संसद में खोला आंकड़ों का पिटारा

संसद में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने मंगलवार को बताया कि रुपये पर अमेरिकी चुनावों और विदेशी निवेशकों की निकासी का दबाव रहा, फिर भी इसकी गिरावट सीमित रही।

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बीएस वेब टीम   
Last Updated- February 11, 2025 | 6:17 PM IST

भारतीय रुपये ने अक्टूबर 2024 से जनवरी 2025 के बीच अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 3.3% की गिरावट देखी, लेकिन कई एशियाई देशों की मुद्राओं से बेहतर प्रदर्शन किया। संसद में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने मंगलवार को बताया कि रुपये पर अमेरिकी चुनावों और विदेशी निवेशकों की निकासी का दबाव रहा, फिर भी इसकी गिरावट सीमित रही।

अमेरिकी चुनावों की अनिश्चितता बनी वजह

पंकज चौधरी ने राज्यसभा में लिखित जवाब में बताया कि 2024 के आखिरी तीन महीनों में अमेरिका में चुनावी नतीजों को लेकर अनिश्चितता बनी रही। इसी कारण डॉलर इंडेक्स में 7% की तेजी आई, जिससे सभी प्रमुख एशियाई करेंसीज़ कमजोर हो गईं।

इस दौरान भारतीय रुपया 3.3% गिरा, जबकि दक्षिण कोरियाई वोन 8.1% और इंडोनेशियाई रुपिया 6.9% तक कमजोर हो गए। जी-10 समूह की प्रमुख मुद्राओं में भी यूरो 6.7% और ब्रिटिश पाउंड 7.2% तक गिर गया।

रुपये पर दोहरी मार: ब्याज दरें और व्यापार घाटा

रुपये पर दबाव की एक बड़ी वजह भारत और अमेरिका के बीच घटता ब्याज दरों का अंतर रहा। अमेरिका में 10 साल की बॉन्ड यील्ड 74 बेसिस पॉइंट बढ़ी, जबकि भारत में इस दौरान यील्ड लगभग स्थिर रही।

साथ ही, अक्टूबर 2024 से जनवरी 2025 के बीच विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने भारतीय बाजार से करीब 20 अरब डॉलर निकाले, जिससे रुपये पर दबाव बढ़ा। नवंबर 2024 में 31.8 अरब डॉलर का व्यापार घाटा भी रुपये की कमजोरी का एक बड़ा कारण बना।

जन धन खातों में 21% निष्क्रिय

एक अन्य सवाल के जवाब में पंकज चौधरी ने बताया कि प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) के तहत 22 जनवरी 2025 तक 21.17% खाते निष्क्रिय हो चुके हैं।

भारतीय रिजर्व बैंक के नियमों के अनुसार, यदि दो साल तक किसी खाते में कोई लेन-देन नहीं होता, तो उसे निष्क्रिय घोषित कर दिया जाता है। उन्होंने कहा कि बैंक जागरूकता कैंप लगाकर ग्राहकों को खाते सक्रिय रखने के लिए प्रेरित कर रहे हैं और सरकार भी इस पर निगरानी रख रही है।

टैक्स-टू-GDP अनुपात में सुधार

कोविड-19 के बाद से टैक्स-टू-GDP अनुपात में लगातार सुधार हो रहा है। पंकज चौधरी ने बताया कि किसी बड़े बदलाव की वजह या तो बाहरी परिस्थितियां होती हैं, जैसे कोविड-19, या फिर सरकार की कर दरों में बदलाव जैसी नीतियां।

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने बजट 2024-25 में मध्यम अवधि की वित्तीय नीति पेश की है, जिसका उद्देश्य राजकोषीय घाटे को नियंत्रित रखना और कर्ज-टू-GDP अनुपात को घटाना है। (PTI के इनपुट के साथ)

First Published : February 11, 2025 | 6:16 PM IST