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Jeera price: निचले भाव पर जीरे की मांग निकल रही है। जिससे इसके भाव में अब तेजी आने लगी है। जीरे की नई फसल का दबाव कमजोर पड़ने के कारण भी इसकी कीमतों में बढ़ोतरी को समर्थन मिल रहा है। जानकारों के मुताबिक अगले एक-दो महीने तक जीरे के भाव तेज रह सकते हैं।
कितना महंगा हुआ जीरा?
बीते 10 दिन से जीरे के भाव में तेजी देखी जा रही है। कमोडिटी एक्सचेंज नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (NCDEX) पर जीरे का जून अनुबंध 10 दिन पहले 22,150 रुपये के भाव पर बंद हुआ था, आज यह खबर लिखे जाने के समय 25,180 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर कारोबार कर रहा था। इस तरह 10 दिन में जीरे के वायदा भाव करीब 13.50 फीसदी चढ़ चुके हैं। हालांकि आज मुनाफावसूली के कारण जीरे के वायदा भाव में सुस्ती देखी गई।
जीरा क्यों हो रहा महंगा?
जानकारों के मुताबिक जीरा महंगा होने की वजह निचले भाव पर मांग बढ़ना है। कमोडिटी विश्लेषक और एसएमसी ग्लोबल सिक्योरिटीज लिमिटेड में सीनियर एसोसिएट्स (रिसर्च) रविशंकर पांडेय ने बताया कि इस साल जीरे का उत्पादन अधिक होने से नई फसल के बाद भाव काफी गिर चुके हैं। ऐसे में निचले भाव पर अब जीरे की घरेलू और निर्यात दोनों मांग निकल रही है। इसलिए बीते कुछ दिनों से जीरे की कीमतों में तेजी देखने को मिली है। एक अन्य कमोडिटी विश्लेषक ने कहा कि जीरे की आवक का पीक समय बीत चुका है। निचले भाव पर स्टॉकिस्ट व किसानों ने जीरे की आवक कम कर दी है। इससे भी जीरे की कीमतों में तेजी को बल मिला है। जिंसों के दाम व आवक के आंकड़े रखने वाली एजेंसी एगमार्कनेट के मुताबिक मंडियों में मार्च में करीब 70 हजार टन जीरे की आवक हुई, जो अप्रैल में घटकर करीब 47,700 टन रह गई। इस महीने अब तक करीब 13,000 टन ही आवक हुई। इस हिसाब से इस माह जीरे की आवक अप्रैल से कम रहने की संभावना है।
आगे क्या रहने वाले हैं जीरे के भाव?
जानकारों के मुताबिक अब जीरे के भाव में मंदी आने की संभावना कम है। पांडेय ने कहा कि अब भारतीय जीरा वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी हो गया है। जिससे आगे निर्यात मांग निकल सकती है। बीते महीनों में भाव काफी गिर चुके हैं। इसलिए अब और ज्यादा गिरावट के आसार नहीं है। उन्होंने कहा कि निचले भाव पर घरेलू और निर्यात मांग मजबूत होने के साथ कमजोर आपूर्ति से आगे जीरे के भाव बढ़ सकते हैं। अगले महीने तक भाव 30,000 हजार रुपये तक जा सकते हैं। इस स्तर को पार करने पर जीरे के वायदा भाव का अगला लक्ष्य 35,000 हजार रुपये क्विंटल दिख रहा है।