प्रतीकात्मक तस्वीर
विदेशों में खाद्य तेलों के दाम धराशायी होने तथा ‘शुल्क युद्ध’ की बढ़ती आशंकाओं के बीच कारोबारी धारणा बिगड़ने के कारण बीते सप्ताह सभी तेल-तिलहनों के दाम टूट गए और सरसों, मूंगफली एवं सोयाबीन तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल के दाम पर्याप्त हानि के साथ बंद हुए। बाजार सूत्रों ने कहा कि इससे पिछले सप्ताह जिस कच्चे पामतेल (सीपीओ) का दाम 1,200-1,205 डॉलर प्रति टन था, वह समीक्षाधीन सप्ताह में घटकर 1,160-1,165 डॉलर प्रति टन रह गया। बाजार धारणा बिगड़ने का यह मुख्य कारण रहा। हालांकि, यह दाम जो पहले सोयाबीन से लगभग 100 डॉलर अधिक था वह अब घटने के बाद सोयाबीन से लगभग 60 डॉलर अधिक ही है।
हालांकि, जितना पाम, पामोलीन तेल का दाम टूटा है, उतनी गिरावट सोयाबीन में नहीं आई। सूत्रों ने कहा कि बेशक थोक दाम में भारी कमी आयी हो लेकिन खुदरा बाजार में कोई उपभोक्ता सरसों, मूंगफली जैसे खाद्य तेल खरीदे, तो यह दाम आसमान पर है। आम उपभोक्ताओं के राहत के लिए इस बिडंबना का सुलझाना जरूरी है। सूत्रों ने कहा कि रमजान खत्म होने के बाद मलेशिया में पाम-पामोलीन का उत्पादन बढ़ने का समय आ गया है और अप्रैल से दिसंबर माह तक यह बढ़ेगा। लेकिन मलेशिया में बाजार का सारा खेल अब सट्टेबाजों पर निर्भर करेगा कि वे कौन सा रास्ता चुनते हैं। उन्होंने कहा कि सहकारी संस्था नेफेड की सोयाबीन बिक्री रुकने के बाद सोयाबीन के अनुकूल कुछ माहौल बना था लेकिन इसके डी-आयल्ड केक (डीओसी) की कमजोर मांग ने सारे माहौल पर पानी फेर दिया और सोयाबीन का सारा ‘जोश’ ठंडा हो गया। सप्ताहांत में सोयाबीन तेल-तिलहन के भाव भी पर्याप्त गिरावट के साथ बंद हुए।
सूत्रों ने कहा कि सरकार को बहुत सचेत होकर फैसले लेने होंगे कि ऐन बिजाई के समय बाजार में जो सोयाबीन और मूंगफली की हालत हो रही है, उससे किसानों को क्या संकेत जाएगा। इन दोनों फसलों के साथ-साथ सरसों के थोक दाम भी एमएसपी से कम हो गये हैं जो किसानों को किसी और लाभकारी फसल बोने की ओर ले जा सकता है। कहीं इन फसलों का हाल भी सूरजमुखी जैसा न हो जाये जिसकी दक्षिण भारत में काफी अधिक खेती होती थी और मूंगफली उत्पादन में भारत दूसरे नंबर का देश हुआ करता था लेकिन अब पूरे दक्षिण भारत में इसकी खेती विलुप्त हो चली है और किसान किसी अन्य लाभकारी फसल की ओर जा चुके हैं। सरकार द्वारा बाद में चाहे जितना भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाया गया, फिर भी किसान इन फसलों की ओर वापस लौटकर नहीं आये।
सूत्रों ने कहा कि सरसों का उत्पादन कम है और सरकार की ओर से इसकी अधिक से अधिक खरीद कर स्टॉक बनाने का यह उपयुक्त समय है। उन्होंने कहा कि जब तक किसानों को उनकी फसल का अच्छा दाम नहीं मिलेगा, उस फसल का उत्पादन बढ़ाना मुश्किल है। सरकार को इस बात को समझकर ही कोई पहल करनी चाहिये। विदेशों में पाम-पामोलीन का दाम टूटने के कारण लगभग सभी तेल-तिलहनों पर दबाव रहा और इसी कारण बिनौला के दाम भी लुढ़कते नजर आये। सूत्रों ने कहा कि सबसे अहम बात महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश जैसी जगहों में लगे उन तेल संयंत्रों की है जिन्हें अगर समय पर सोयाबीन पेराई के लिए न मिले, तो वे क्या करेंगी। इससे जो खाद्य तेल की कमी होगी उसे कैसे पूरा किया जायेगा?
बीते सप्ताह सरसों दाने का थोक भाव 75 रुपये की गिरावट के साथ 6,200-6,300 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल का थोक भाव 450 रुपये की गिरावट के साथ 13,000 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद Oilseeds prices April 2025, Groundnut price today, Mustard prices this week, Soybean price trend India, Mustard oil market update, Foreign market oilseed impact, Oilseeds market rates, Commodity price analysis April 2025, Groundnut price hike reason, Oilseeds trade newsहुआ। सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव क्रमश: 40-40 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 2,340-2,440 रुपये और 2,340-2,465 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ। समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और सोयाबीन लूज का थोक भाव क्रमश: 25-25 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 4,400-4,450 रुपये और 4,100-4,150 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
इसी तरह, सोयाबीन दिल्ली एवं सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम के दाम क्रमश: 425 रुपये, 325 रुपये और 225 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 13,400 रुपये, 13,150 रुपये और 9,550 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए। समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तिलहन का भाव 150 रुपये की गिरावट के साथ 5,700-6,075 रुपये क्विंटल पर बंद हुआ। वहीं, मूंगफली तेल गुजरात और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल का भाव क्रमश: 450 रुपये और 55 रुपये की गिरावट के साथ 14,200 रुपये और 2,235-2,535 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ। कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का दाम 350 रुपये की गिरावट के साथ 12,700 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
पामोलीन दिल्ली का भाव 400 रुपये की गिरावट के साथ 14,100 रुपये प्रति क्विंटल तथा पामोलीन एक्स कांडला तेल का भाव 350 रुपये की गिरावट के साथ 13,100 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। गिरावट के आम रुख के अनुरूप, समीक्षाधीन सप्ताह में बिनौला तेल 375 रुपये की गिरावट के साथ 13,500 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
(एजेंसी इनपुट के साथ)