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कानूनी सलाह से मजबूत होगा कपड़ा कारोबार के भरोसे का धागा

कृषि के बाद देश में सबसे ज्यादा रोजगार देने वाले कपड़ा उद्योग का कारोबार 2030 तक 250 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।

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सुशील मिश्र   
Last Updated- August 29, 2024 | 7:19 PM IST

आपसी भरोसे और उधारी के सहारे कपड़ा कारोबार फला फूला है। लेकिन पिछले कुछ सालों से धोखाधड़ी और भुगतान में देरी ने कपड़ा कारोबार को परेशान कर दिया है। आपसी समझौते से कारोबारियों के विवादों को सुलझाने वाले व्यापारी संगठन भी धोखाधड़ी की बढ़ती घटनाओं से हैरान है, इस तरह की घटनाओं से कारोबारियों को बचाने और उसका समाधान करने के लिए अब कारोबारी संघ अपने सदस्यों को निशुल्क कानून सहायता प्रदान करने का निर्णय लिया है।

कृषि के बाद देश में सबसे ज्यादा रोजगार देने वाले कपड़ा उद्योग का कारोबार 2030 तक 250 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। इस अनुमान का हकीकत में बदलने के लिए कारोबारियों के बीच आपसी भरोसा होना जरुरी है लेकिन उधारी का भुगतान समय पर न होने और धोखाधड़ी की बढ़ती घटनाओं के कारण छोटे कारोबारियों का दिवाला निकल रहा है।

भुगतान की विकराल होती समस्या को देखते हुए भारत मर्चेंट्स चेंबर ने कपड़ा बाजार के व्यापारी सदस्यों को निशुल्क कानूनी सहायता प्रदान करने का निर्णय लिया है। चेंबर के ट्रस्टी राजीव सिंगल कहते हैं कि इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए हर शुक्रवार शाम 4 से 5 बजे के बीच कानूनी फर्म कारोबारियों का मार्ग दर्शन करेंगी।

चेंबर ने फिलहाल इसके लिए एडवोकेट राकेश जैन एवं उनकी टीम के साथ समझौता किया है। राकेश जैन कपड़ा व्यापारियों को आर्बिट्रेशन लवाद, चेक बाउंसिंग, चीटिंग फ्रॉड, प्रॉपर्टी आदि के मामलो में निशुल्क मार्गदर्शन करेंगे। चेंबर पिछले पचास साल से आर्बिट्रेशन कॉंसिलिएशन एक्ट के तहत भी विवादों की सुनवाई करता है।

चेंबर के मंत्री नवीन बागड़िया कहते हैं कि लेन देन में पहले भी कुछ परेशानियां होती थी लेकिन कारोबारियों की नीयत ठीक रहती थी लेकिन पिछले कुछ सालों से कुछ धोखाधडी की घटनाएं बढ़ गई , छोटे कारोबारियों को सही कानूनी जानकारी न होने के कारण शातिर दिमाग वाले लोग इसका फायदा उठा रहे हैं जिसके कारण कारोबारियों के बीच आपसी भरोसा कम होता जा रहा है जो कारोबार के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं।

सती टेक्सटाइल के प्रबंध निदेशक प्रकाश केडिया कहते हैं कि साल दर साल इस तरह की घटनाएं बढ़ने लगी है कोविड के बाद मानो बाढ़ सी आ गई है। जिसका नुकसान सबको हो रहा है क्योंकि यह कारोबार उधारी पर चलता है।

मौजूदा माहौल में कारोबारियों व्यापारियों को माल उधार देते है तो उसका भुगतान की गारंटी नहीं है और नहीं देता है तो कारोबार ठप हो रहा है। ऐसे में उद्योग को सही कानूनी सलाह ही बचा सकता है। कपड़ा कारोबारियों की मानी जाए तो धोखाधडी में बिचौलियों की भूमिका अहम होती है इसलिए अब इनकी जिम्मेदारी भी तय हो और कानून दायरे में इनको भी लाने की जरूरत है । इसके लिए कारोबारियों को कानूनी प्रावधान की जानकारी होना जरुरी है।

मुंबई से देश के हर कोने में कपड़ा जाता है ।कपड़ा निर्यात का भी प्रमुख केन्द्र है। मुंबई के कपड़ा कारोबारियों की मानी जाए तो पिछले एक साल में सबसे ज्यादा बिहार और पश्चिम बंगाल में धोखाधड़ी हुई है। बहुत सारे कपड़ा कारोबारी अपने फर्म का नाम बदल ले रहे हैं ताकि पैसा न देना पड़े। कुछ कारोबारी कपड़ा कारोबार छोड़ कर दूसरे कारोबार में लग जा रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक इस समय मुंबई के कपड़ा कारोबारियों का करीब 200 करोड़ रुपये उधारी में फंस चुका है जो उनके कारोबार को डुबोने के लिए पर्याप्त है।

देश में कपड़ा उद्योग में महाराष्ट्र का योगदान सबसे ज्यादा है। कुल कपड़ा और ड्रेस उत्पादन का 10.4 फीसदी और भारत में कुल रोजगार का 10 फीसदी से ज्यादा रोजगार महाराष्ट्र से आता है। 1854 में बॉम्बे स्पिनिंग एंड वीविंग की स्थापना के साथ आधुनिक कपास उद्योग के भारत में विस्तार की कवायद में महाराष्ट्र ने आने वाले दशकों के लिए देश के कपड़ा उद्योग में अपनी जगह बनाई।

1870 के दशक में 60 फीसदी कपास मिलें महाराष्ट्र की हुआ करती थी। महाराष्ट्र अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण इस उद्योग में रहा है अग्रणी कपास के लिए विशाल उपजाऊ मिट्टी (39.41 लाख हेक्टेयर के साथ राष्ट्रीय कपास रकबा में अग्रणी) और व्यापक समुद्र तट तक पहुंच के साथ अग्रणी टेक्सटाइल सेंटर रहा है।

First Published : August 29, 2024 | 7:17 PM IST