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Sugar Industry पर ‘ऑल इंडिया शुगर ट्रेड एसोसिएशन (AISTA)’ के इन आंकड़ों को देखिए

ऑल इंडिया शुगर ट्रेड एसोसिएशन (AISTA) ने Sugar Industry को लेकर आंकड़ें जारी किए, जिसमें इस सेक्टर के भविष्य को लेकर गंभीर बातें कहीं गईं।

Published by
निमिष कुमार   
Last Updated- June 11, 2025 | 9:12 PM IST

भारत का चीनी निर्यात (Sugar Export) इस सीजन में जोर पकड़ रहा है। 20 जनवरी 2025 के बाद से देश ने 5.38 लाख टन (lt) से अधिक चीनी का निर्यात किया है। सरकार द्वारा 2024-25 सीजन में 10 लाख टन (lt) चीनी के निर्यात की अनुमति दी गई थी। मौजूदा आंकड़ों और ट्रांजिट में भेजी जा रही चीनी को जोड़कर यह आंकड़ा 5.61 लाख टन से अधिक हो गया है और अनुमान है कि सीजन के अंत तक यह 8 लाख टन तक पहुँच सकता है।

कहाँ-कहाँ गया भारत का चीनी निर्यात

ऑल इंडिया शुगर ट्रेड एसोसिएशन (AISTA) के अनुसार, इस सीजन में भारत से निर्यात की गई चीनी में शामिल हैं:

  • 4.10 लाख टन सफेद चीनी (White Sugar)
  • 25,382 टन कच्ची चीनी (Raw Sugar)
  • 81,845 टन रिफाइंड चीनी (Refined Sugar)
  • इसके अलावा, 21,000 टन से अधिक कच्ची चीनी विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) की रिफाइनरियों को भेजी गई, जिसे “Deemed Export” माना गया।

प्रमुख आयातक देश

  • सोमालिया — 1.18 लाख टन
  • श्रीलंका — 76,401 टन
  • अफगानिस्तान — 72,833 टन
  • अन्य देश: जिबूती, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), लीबिया और तंजानिया भी शामिल हैं। 

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चीनी उत्पादन में भारी गिरावट: 17% की कटौती

हालांकि निर्यात के मोर्चे पर सफलता मिल रही है, लेकिन घरेलू उत्पादन में बड़ी गिरावट देखने को मिल रही है। AISTA के अनुसार:

  • 2024-25 सीजन में भारत का अनुमानित चीनी उत्पादन 26.52 मिलियन टन (mt) रहेगा।
  • यह पिछले सीजन के 31.9 मिलियन टन उत्पादन से 16.9% कम है।
  • 30 सितंबर 2025 तक देश में अनुमानित क्लोजिंग स्टॉक 4.5 मिलियन टन होगा।

उत्पादन में गिरावट के कारण

उत्तर प्रदेश (UP):

  • रेड रॉट बीमारी (Red Rot Disease) से गन्ने की गुणवत्ता पर असर पड़ा है।
  • बाढ़ के कारण फसल क्षतिग्रस्त हुई, जिससे चीनी निष्कर्षण क्षमता (Sugar Recovery) घटी है।

महाराष्ट्र:

  • अनियमित वर्षा (Erratic Rainfall) और फूल निकलने में समस्याओं ने गन्ने की उपज को घटा दिया।
  • कई चीनी मिलों को सीजन से पहले बंद करना पड़ा।

हालांकि इस साल चीनी निर्यात में अच्छी गति बनी हुई है, लेकिन घटता हुआ घरेलू उत्पादन भविष्य में चीनी की आपूर्ति और कीमतों (Supply & Pricing) को प्रभावित कर सकता है। अगर अगले सीजन में मौसम और बीमारियाँ नियंत्रित नहीं की गईं, तो भारत को अपनी आंतरिक मांग को पूरा करने में चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।

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First Published : June 11, 2025 | 9:06 PM IST