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टेलीकॉम कंपनियां नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) पर सनसेट क्लॉज (एक निश्चित समय बाद खत्म होने वाला कानून या प्रावधान) लागू करने के लिए जोर दे रही हैं, जिसके तहत विमानन कंपनियों (airlines) को अनिवार्य रूप से अपने पुराने अल्टीमीटरों (old altimeters) को नए अल्टीमीटरों से तब्दील करना होगा ताकि हवाईअड्डों (Airports) में 5G स्पेक्ट्रम के एयरवेव विकिरण (radiation) से विमान के उपकरणों में व्यवधान न आए।
DGCA ने सुरक्षा संबंधी चिंताओं के कारण देश भर के हवाई अड्डों और 2.1 किलोमीटर के दायरे वाले क्षेत्रों में 5G सेवाओं का पूरी तरह से ‘ब्लैकआउट’ अनिवार्य कर दिया था। इस विवादास्पद मसले से निपटने के लिए गुरुवार को हितधारकों और नागरिक उड्डयन नियामक के बीच बैठक हुई थी।
टेलीकॉम कंपनियों ने DGCA को सूचित किया है कि बोइंग (Boeing) और एयरबस (AirBus) के प्रतिनिधियों ने इस बात का विवरण साझा किया है कि वे इस मसले को हल करने के लिए विश्व स्तर पर क्या कर रहे हैं। मिसाल के तौर पर अमेरिका ने इस साल 31 मई तक सभी पुराने अल्टीमीटरों को बदलने की समय सीमा दी है और फिलहाल अल्टीमीटर बदलने का काम जारी है।
ब्राजील और कुछ मध्य अमेरिकी देशों ने भी समय सीमा दी हुई है, जिसके भीतर पुराने अल्टीमीटरों को बदलना होगा। भारतीय टेलीकॉम कंपनियां इस संबंध में सरकार से स्पष्ट समय सीमा तय करने की गुजारिश कर रही हैं, ताकि विमान कंपनियां अल्टीमीटर बदलने का काम कर सकें। फिलहाल ‘पहले आओ-पहले पाओ’ के आधार पर यह काम किया जा रहा है।
विमान कंपनियों ने कहा है कि वे 5G रेडियो वाले टावर से अधिकतम अनुमति का वह विकिरण स्तर तय कर सकती हैं, जो पुराने अल्टीमीटर के साथ व्यवधान न करे। इसके लिए दूरसंचार कंपनियों को उन्हें अपने 5G एंटेना का विवरण उपलब्ध कराना होगा, ताकि उनके लिए उसकी शक्ति का पता लगाना संभव हो सके।
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एक दूरसंचार कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अगर विमान कंपनियों को DGCA द्वारा अल्टीमीटर बदलने की स्पष्ट समय सीमा नहीं दी जाती है, तो वे स्वेच्छा से ऐसा क्यों करेंगे? इसका मतलब है कि विमान कुछ समय के लिए खड़ा हो जाएगा और पैसे का नुकसान होगा।
नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने पिछले साल दूरंचार कंपनियों से हवाई अड्डे के भीतर और उसके आसपास सी-बैंड 5G स्पेक्ट्रम लागू करते समय उसकी गंभीरता कम करने के उपाय सुनिश्चित करने के लिए बफर और सुरक्षा क्षेत्र का निर्माण करने के लिए कहा था।
इसने टेलीकॉम कंपनियों से कहा है कि रनवे के दोनों सिरों से 2,100 मीटर और रनवे की मध्य रेखा से 910 मीटर के दायरे में 3.3 गीगाहर्ट्ज से लेकर 3.67 गीगाहर्ट्ज फ्रीक्वेंसी वाला कोई बेस स्टेशन नहीं होना चाहिए।