भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एसेट रीकंस्ट्रक्शन कंपनियों (ARC) की न्यूनतम पूंजी जरूरत (minimum capital requirement ) को 100 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 300 करोड़ रुपये कर दिया है। RBI ने बुधवार को जारी कम्पाइल्ड मास्टर डायरेक्शन में यह निर्देश दिए हैं।
रिजर्व बैंक ने कहा है कि यह नियम 24 अप्रैल 2024 से लागू होगा। ARC को 300 करोड़ रुपये की न्यूनतम जरूरी शुद्ध स्वामित्व निधि (Net Owned Fund-NOF)) का लक्ष्य हासिल करने के लिए आसान राह दी गई है। ARC को 31 मार्च, 2024 तक निश्चित रूप से 200 करोड़ रुपये और 31 मार्च, 2026 तक 300 करोड़ रुपये रखना होगा।
रिजर्व बैंक ने कहा है, ‘उपरोक्त किसी भी चरण का अनुपालन न करने वाली ARC पर पर्यवेक्षणात्मक कार्रवाई हो सकती है, जिसमें उस समय लागू जरूरी न्यूनतम एओएफ की जरूरत पूरी होने तक व्यवसाय बढ़ाने पर रोक लगाना भी शामिल है।’
समाधान आवेदक के रूप में काम करने के लिए किसी एआरसी के पास कम से कम 1,000 करोड़ रुपये की एनओएफ होनी चाहिए।
ARC सरकारी प्रतिभूतियों की बकाया राशि (dues of government securities and deposits) की वसूली और अनुसूचित कमर्शियल बैंकों, भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI), राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (NABARD) या आरबीआई द्वारा निर्दिष्ट किसी अन्य इकाई में जमा के एकमात्र उद्देश्य से अर्जित ऋण खाते के पुनर्गठन के लिए धन लगा सकती हैं।
ARC कम अवधि के निवेश माध्यमों जैसे मनी मार्केट म्युचुअल फंडों, सर्टिफिकेट्स ऑफ डिपॉजिट और कॉर्पोरेट बॉन्डों/कमर्शियल पेपर्स में भी निवेश कर सकती हैं, जिनकी योग्य क्रेडिट रेटिंग एजेंसी (CRA) द्वारा कम अवधि की रेटिंग, AA की दीर्घावधि रेटिंग के बराबर हो। इस तरह का निवेश ARC के NOF के 10 फीसदी की सीमा के दायरे में होगा।