रविवार को सरकार के बूस्टर डोज से असंतुष्ट देश के 40 फीसदी औद्योगिक उत्पादन से जुड़ी अति लघु, लघु एवं मझोली औद्योगिक इकाइयों ने प्रधानमंत्री से मांग की है कि तत्काल रूप से उनकी चुकौती पर रोक लगा दी जाए।
यानी तेजी के दौरान अपनी इकाइयों के विस्तार के लिए उन्होंने जो कर्ज लिए थे, उसके भुगतान के लिए कोई जबरदस्ती नहीं की जाए। एमएसएमई की कार्यगत पूंजी सीमा में भी बढ़ोतरी की जाए।
सोमवार को फेडरेशन ऑफ इंडियन माइक्रो एंड स्मॉल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज (फिस्मे) की तरफ से प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को दिए गए ज्ञापन में कहा गया है कि लघु एवं मझोले उद्यमियों के लिए सरकार की तरफ से दी गयी राहत काफी कम है।
चाहे वह सिडबी को 7000 करोड़ रुपये बतौर कर्ज देने की बात हो या फिर क्रेडिट गारंटी स्कीम की सीमा को बढ़ाने की। फिस्मे के महासचिव अनिल भारद्वाज का कहना हसरकार को कार्यगत पूंजी की कमी को दूर करने के लिए वर्किंग कैपिटल टर्म लोन तत्काल उपलब्ध कराना होगा।
फिस्मे ने यह भी मांग की है कि एमएसएमई को बड़ी इकाइयों की तरफ से समय पर भुगतान कराने की व्यवस्था की जाए। कर्ज के लिए सरकार को गारंटी लेनी चाहिए, ताकि कर्ज देने के मामलों में बैंकों को सुविधा हो।