सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 4.4 प्रतिशत राजकोषीय घाटे के लक्ष्य के साथ केंद्रीय बजट 2025-26 राजकोषीय मजबूती और वृद्धि के मकसद के बीच संतुलन साधने में कामयाब रहा है। भारतीय रिजर्व बैंक के सदस्यों द्वारा लिखी गई एक रिपोर्ट में यह कहा गया है।
फरवरी के लिए रिजर्व बैंक बुलेटिन में यह रिपोर्ट प्रकाशित हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक केंद्रीय बजट, राजकोषीय अनुशासन को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता को एक बार फिर पुष्ट करता है। साथ ही यह बजट ‘विकसित भारत’ के दृष्टिकोण के अनुरूप समावेशी, दीर्घकालिक आर्थिक विकास को बढ़ावा देने वाला है।
केंद्रीय बजट में वित्त वर्ष 2025-26 के दौरान सकल राजकोषीय घाटा (जीएफडी), जीडीपी का 4.4 प्रतिशत बनाए रखने का लक्ष्य रखा गया है, जो 2024-25 के संशोधित अनुमान 4.8 प्रतिशत से कम है। इसका मतलब है कि सरकार 2025-26 तक जीएफडी को सकल घरेलू उत्पाद के 4.5 प्रतिशत से नीचे लाने के अपने उद्देश्य पर कायम है।
इसके अलावा 2026-27 और उसके बाद सरकार ने राजकोषीय घाटे के लक्षित अनुमान पर बने रहने का इरादा जताया है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि सार्वजनिक ऋण और जीडीपी का अनुपात मार्च 2031 तक करीब 50 प्रतिशत पर पहुंच जाएगा। केंद्रीय बजट में वृद्धि को गति देने, समावेशी विकास सुनिश्चित करने, निजी क्षेत्र के निवेश को बढ़ावा देने, परिवार की भावनाओं को बढ़ावा देने और भारत के बढ़ते मध्यम वर्ग की खर्च करने की क्षमता को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
प्रत्यक्ष कर में 1 लाख करोड़ रुपये की कर राहत के बजट प्रस्ताव से घरेलू खर्च वाली आमदनी बढ़ने और उपभोग, बचत और निवेश को प्रोत्साहन मिलने की संभावना है। रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2024-25 के संशोधित बजट अनुमान में जीएफडी घटकर जीडीपी का 4.8 प्रतिशत रह गया है, जबकि बजट में जीडीपी का 4.9 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था। राजकोषीय घाटे में 10 आधार अंक की गिरावट कम पूंजीगत व्यय की वजह से आई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2025-26 में राजकोषीय घाटा कम करके 4.4 प्रतिशत किए जाने का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। इसके लिए राजस्व व्यय को सकल घरेलू उत्पाद के 11.0 प्रतिशत पर सीमित रखने और पूंजीगत व्यय को सकल घरेलू उत्पाद के 3.1 प्रतिशत पर बनाए रखने तथा सकल कर राजस्व को सकल घरेलू उत्पाद के 12 प्रतिशत तक बढ़ाने की जरूरत होगी।
इसके साथ ही सरकार का कर्ज भी घटकर जीडीपी के 56 प्रतिशत पर आने की संभावना है, जो वित्त वर्ष 2025 के संशोधित अनुमान में 57.1 प्रतिशत था। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘सरकार ने संकेत दिया है कि वह राजकोषीय घाटे के स्तर को बनाए रखेगी, जिससे 31 मार्च, 2031 तक केंद्र के ऋण-जीडीपी अनुपात को 50 से 1 प्रतिशत कम या ज्यादा के स्तर पर लाने में मदद मिलेगी।’