अर्थव्यवस्था

MSME निर्यातकों के लिए ऊंची ब्याज दरें बनीं रोड़ा

रेपो दर 6.5% से निर्यातक खासकर एमएसएमई पर दबाव, ब्याज समानीकरण योजना पर वित्त मंत्रालय से सहयोग की मांग।

Published by
भाषा   
Last Updated- December 18, 2024 | 10:00 PM IST

विदेश व्यापार महानिदेशक संतोष कुमार सारंगी ने कहा कि ऊंची ब्याज दरें निर्यातक समुदाय के लिए बड़ी बाधा हैं और वाणिज्य मंत्रालय इस मोर्चे पर उनकी मदद के लिए वित्त मंत्रालय के साथ मिलकर काम कर रहा है।

सारंगी ने कहा कि वाणिज्य मंत्रालय को वित्त मंत्रालय को ब्याज समानीकरण योजना (आईईएस) की प्रासंगिकता और विनिर्माण प्रतिस्पर्धा को बनाए रखने में उसके योगदान को समझाने में ‘कठिनाई’ आ रही है। ऐसे कई अध्ययन हैं जिनसे पता चलता है कि वित्तीय संस्थानों द्वारा बहुत ज्यादा गारंटी मांगी जाती है।

इससे एमएसएमई के लिए संस्थागत वित्त तक पहुंच में दिक्कत आती है और यह उन्हें निर्यात बाजार में आने से रोकती है। भारत में रेपो दर 6.5 प्रतिशत है, जबकि कई दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में यह 2.5 से 3.5 प्रतिशत के बीच है। इसलिए यह हमारे निर्यातकों, खासकर एमएसएमई के लिए निर्यात के मामले में प्रतिस्पर्धी बनने की राह में सबसे बड़ी बाधा है।

First Published : December 18, 2024 | 10:00 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)