विदेश व्यापार महानिदेशक संतोष कुमार सारंगी ने कहा कि ऊंची ब्याज दरें निर्यातक समुदाय के लिए बड़ी बाधा हैं और वाणिज्य मंत्रालय इस मोर्चे पर उनकी मदद के लिए वित्त मंत्रालय के साथ मिलकर काम कर रहा है।
सारंगी ने कहा कि वाणिज्य मंत्रालय को वित्त मंत्रालय को ब्याज समानीकरण योजना (आईईएस) की प्रासंगिकता और विनिर्माण प्रतिस्पर्धा को बनाए रखने में उसके योगदान को समझाने में ‘कठिनाई’ आ रही है। ऐसे कई अध्ययन हैं जिनसे पता चलता है कि वित्तीय संस्थानों द्वारा बहुत ज्यादा गारंटी मांगी जाती है।
इससे एमएसएमई के लिए संस्थागत वित्त तक पहुंच में दिक्कत आती है और यह उन्हें निर्यात बाजार में आने से रोकती है। भारत में रेपो दर 6.5 प्रतिशत है, जबकि कई दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में यह 2.5 से 3.5 प्रतिशत के बीच है। इसलिए यह हमारे निर्यातकों, खासकर एमएसएमई के लिए निर्यात के मामले में प्रतिस्पर्धी बनने की राह में सबसे बड़ी बाधा है।