भारतीय कंपनियों के ज्यादातर मुख्य कार्याधिकारी (CEO) मानते हैं कि इजरायल-हमास युद्ध का लंबे समय में उनकी बिक्री और कामकाज पर कोई असर नहीं पड़ेगा। मगर बिज़नेस स्टैंडर्ड के सर्वेक्षण में शामिल सीईओ ने कहा कि कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और भू-राजनीतिक तनाव उनके लिए चिंता की बड़ी वजह है।
सर्वेक्षण में शामिल 15 सीईओ में से 86.67 फीसदी ने कहा कि युद्ध का उनके परिचालन या निवेश पर कोई असर नहीं पड़ेगा और देश में उनका कामकाज सही चल रहा है। चेन्नई की एक फर्म के सीईओ ने पहले विश्व युद्ध के शुरुआती दौर को बयां करने वाली एक किताब का जिक्र करते हुए कहा, ‘इस तरह की घटनाएं अक्सर होती रहती हैं। भू-राजनीतिक स्थिति अस्थिर और नाजुक दौर में है लेकिन मैं आशा करता हूं कि यह पुलित्जर पुरस्कार विजेता बारबरा टचमैन की किताब ‘द गन्स ऑफ अगस्त’ में दिखाई गई स्थिति की तरह नहीं होगी।’
सर्वेक्षण में शामिल 60 फीसदी सीईओ का कहना है कि पश्चिम एशिया में अगर इजरायल तनाव गहराता है तो इससे समस्या हो सकती है, लेकिन फिलहाल उनकी लागत में किसी तरह का इजाफा होने की आशंका नहीं है।
एक फार्मास्युटिकल निर्यातक फर्म के सीईओ ने कहा, ‘हमारा पिछला अनुभव यह है कि युद्ध के साथ ढेर सारी क्षेत्रीय और वैश्विक अड़चनें भी आती हैं और सामान्य आर्थिक गतिविधियों पर असर पड़ता है। नियामकीय मंजूरी और नए सौदों की रफ्तार धीमी हो जाती है।’
एक अन्य सीईओ ने उम्मीद जताई कि युद्ध से ज्यादा दिक्कत नहीं आएगी। एक सीमेंट कंपनी के प्रमुख ने कहा, ‘यह अप्रत्याशित तो है ही मगर भारत में वृद्धि पर कोई असर नहीं पड़ेगा और हमारी ज्यादातर बिक्री भारत में ही होती है।’
मगर कच्चे तेल की कीमतों पर इस युद्ध का असर पड़ेगा और उनकी लागत बढ़ सकती है। पिछले शुक्रवार को तेल के दाम 3 फीसदी चढ़कर एक हफ्ते के उच्च स्तर 90.48 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गए। इजरायल-गाजा तनाव बढ़ने से वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की आपूर्ति अटकने की आशंका बढ़ी है और तेल के दाम चढ़े हैं। यूएस वेस्ट टैक्सस इंटरमीडिएट क्रूड 2.8 फीसदी बढ़कर 85.54 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया।
तेल विश्लेषकों का अनुमान है कि ईरान या हिजबुल्ला भी युद्ध में सीधे उतर गए तो तेल के दाम बेकाबू हो सकते हैं और ब्रेंट क्रूड 90 से 10 डॉलर प्रति बैरल के बीच कारोबार कर सकता है। तकरीबन 53.33 फीसदी प्रतिभागियों ने आशंका जताई कि भू-राजनीतिक स्थिति और बिगड़ सकती है।
एक बड़ी स्टील कंपनी के सीईओ ने कहा, ‘अभी तक तेल की आपूर्ति में कोई बड़ी रुकावट नहीं दिखी है और तेल के दाम एक दायरे में ही चल रहे हैं। विवाद बढ़ने का असर तेल की आपूर्ति पर पड़ सकता है, जिससे ईंधन की लागत बढ़ सकती है।’
46.67 फीसदी प्रतिभागियों ने कहा कि 10 वर्षीय अमेरिकी बॉन्ड की यील्ड 5 फीसदी के पार पहुंचने से विदेशी पूंजी महंगी हो गई है और उनके लिए कर्ज की लागत बढ़ गई है। एक कंपनी के सीईओ ने कहा, ‘भारतीय कंपनियों के लिए विदेश से पूंजी जुटाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है और ब्याज दर बढ़कर 11-12 फीसदी हो सकती है।’
एक सीईओ ने कहा कि युद्ध से अतिरिक्त कारोबार भी मिल सकता है। बाजार में उतार-चढ़ाव से ट्रेडिंग वॉल्यूम बढ़ सकता है। एक आईटी फर्म के सीईओ ने कहा कि बाजार में गिरावट आई तो इससे दूर बैठे कई निवेशक बाजार में दांव लगाने आ सकते हैं। मगर अधिकतर प्रतिभागियों को लगता है कि युद्ध के कारण कारोबार के नए अवसर फिलहाल नहीं होंगे।
(देव चटर्जी, ईशिता आयान दत्त, सोहिनी दास, सौरभ लेले, शाइन जैकब, समी मोडक और अभिषेक कुमार)