अर्थव्यवस्था

रिजर्व बैंक के डॉलर बिक्री से रुपये में आया सुधार, 84.76 के नए निचले स्तर से उबरने में मिली मदद

बाजार प्रतिभागियों का कहना है कि आरबीआई ने करीब 2 अरब डॉलर की बिक्री की होगी जिससे घरेलू मुद्रा को घाटा कम करने में मदद मिली।

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अंजलि कुमारी   
Last Updated- December 03, 2024 | 10:04 PM IST

एक दिन के कारोबारी सत्र के दौरान रुपये के 84.76 प्रति डॉलर के नए निचले स्तर को छूने के बाद भारतीय रिजर्व बैंक (आईबीआई) ने डॉलर बिक्री के जरिये विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप किया जिसके बाद रुपये में सुधार दिखा। डीलरों ने इसकी जानकारी दी। मंगलवार को रुपया, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले सोमवार के स्तर की तुलना में 2 पैसे की मजबूती के साथ 84.68 के स्तर पर बंद हुआ। सोमवार को रुपया 84.70 प्रति डॉलर के स्तर पर बंद हुआ था।

बाजार प्रतिभागियों का कहना है कि आरबीआई ने करीब 2 अरब डॉलर की बिक्री की होगी जिससे घरेलू मुद्रा को घाटा कम करने में मदद मिली। फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी के ट्रेजरी प्रमुख एवं कार्यकारी निदेशक अनिल कुमार भंसाली कहते हैं, ‘आरबीआई ने मंगलवार को 2 अरब डॉलर बेचे होंगे ताकि रुपये को 84.76 रुपये प्रति डॉलर से आगे गिरने से बचाया जा सके।’

रुपये में शुरुआती कारोबार के दौरान, चीन की मुद्रा युआन की कमजोरी के चलते गिरावट देखी गई जो एक वर्ष के निचले स्तर पर चला गया। इसके अलावा डीलरों का कहना है कि डिलीवरी न होने वाले वायदा बाजारों में डॉलर की बढ़ती मांग का दबाव भी रुपये पर पड़ा। डीलरों ने बताया कि रिपोर्ट से यह संकेत मिलते हैं कि आरबीआई ने विदेशी और घरेलू रुपया बाजार में कुल 70 अरब डॉलर के शॉर्ट पोजिशन रखे हैं।

डॉलर के मुकाबले रुपये में देखी जा रही गिरावट को रोकने के लिए आरबीआई ने विदेशी मुद्रा बाजार में बड़े स्तर पर हस्तक्षेप किया जिसके चलते पिछले दो महीने में (27 सितंबर) देश के विदेशी मुद्रा भंडार में 48 अरब डॉलर की कमी आई। इस अवधि के दौरान रुपया डॉलर के मुकाबले 83.70 से 84.46 डॉलर तक पहुंच गया जो 0.89 प्रतिशत की गिरावट है।

सरकारी बैंक के डीलर ने कहा, ‘चीन की मुद्रा युआन कमजोर हो रही थी और फिर हमने जीडीपी के निराशाजनक आंकड़े देखे जिसके चलते रुपये में गिरावट देखी गई। अब रुपये की गतिविधि का फैसला आरबीआई करेगा।’

वित्त वर्ष 2025 की जुलाई-सितंबर की तिमाही के दौरान देश की आर्थिक वृद्धि में उम्मीद से कहीं अधिक तेज मंदी देखी गई और यह सात तिमाही के निचले स्तर 5.4 फीसदी पर पहुंच गया।

First Published : December 3, 2024 | 10:04 PM IST