अर्थव्यवस्था

राज्यों का घाटा वित्त वर्ष 2024-25 में 3.2 फीसदी से कम रहने की उम्मीद

ऐक्सिस बैंक की रिसर्च के अनुसार राज्यों के पूंजीगत व्यय में वित्त वर्ष 23-25 के दौरान सालाना आधार पर 22 फीसदी की चक्रवृद्धि दर से इजाफा होने की उम्मीद है।

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रुचिका चित्रवंशी   
Last Updated- June 13, 2024 | 9:55 PM IST

राज्यों का घाटा वित्त वर्ष 25 में 3.2 फीसदी से कम रहने की उम्मीद है। यही नहीं, व्यय वृद्धि कम होने की उम्मीद की वजह से वास्तविक घाटा (Actual deficit) 2.8 फीसदी ही रहने की संभावना है। यह जानकारी ऐक्सिस बैंक की 20 बड़े राज्यों के बजट पर आधारित एक रिपोर्ट में दी गई है।

रिपोर्ट के अनुसार ‘वित्त वर्ष 18 से हर साल वास्तविक घाटा संशोधित अनुमान (आरई) से जीडीपी के 0.5-0.9 फीसदी नीचे रहा है। यह आमतौर पर बजट अनुमान से कम रहता है। इसका प्रमुख कारण खर्च में पर कमी रहना है।’

वित्त आयोग ने राज्यों को यह अनुमति दे दी थी कि वे वित्त वर्ष 22 -23 में सकल राज्य घरेलू उत्पाद के 3.5 से 4 फीसदी के बीच की उधारी ले सकते थे। इस क्रम में बिना इस्तेमाल की गई सीमा को वित्त वर्ष 25 तक इस्तेमाल किया जा सकता है।

ऐक्सिस बैंक की रिसर्च के अनुसार राज्यों के पूंजीगत व्यय में वित्त वर्ष 23-25 के दौरान सालाना आधार पर 22 फीसदी की चक्रवृद्धि दर से इजाफा होने की उम्मीद है। इससे इन राज्यों के विकास में मदद मिलेगी। लिहाजा राज्यों के व्यय की वित्त वर्ष 25 में हिस्सेदारी बढ़कर 16 फीसदी तक हो जाएगी जो वित्त वर्ष 09 के बाद सर्वाधिक है।

राजस्थान, गुजरात और ओडिशा सहित कई राज्यों को वित्त वर्ष 23 की तुलना में वित्त वर्ष 25 में पूंजीगत व्यय दोगुना होने की उम्मीद है। हालांकि कर्नाटक, बिहार, पंजाब और केरल उन राज्यों में शामिल हैं जिन्होंने सुस्त वृद्धि वाला बजट पेश किया है।

ऐक्सिस बैंक ने बताया कि कुछ राज्यों के समक्ष राजकोषीय चुनौतियां हैं। इनमें केरल और पंजाब भी शामिल है। अन्य राज्यों ने प्राथमिकताओं को बदल दिया है या उनमें क्रियान्वयन की क्षमता कम है।

First Published : June 13, 2024 | 9:44 PM IST