दुनियाभर में चल रही मंदी की गर्म हवा से भारत की विकास दर भी झुलस गई है।
इसकी पुष्टि तब हुई, जब शुक्रवार को जारी सरकारी आंकड़ों से खुलासा हुआ कि चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के दौरान यह पांच साल के निम्नतम 5.3 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई।
जबकि पिछले साल की समान अवधि में देश की विकास दर 8.9 फीसदी थी। चिंता की बात यह है कि लगातार दिए जा रहे प्रोत्साहन पैकेजों के बावजूद तीसरी तिमाही में सिर्फ सेवा क्षेत्र ने विकास दर के मामले में उम्मीद की किरण पैदा की अन्यथा अन्य सभी खंडों का प्रदर्शन खराब रहा।
हालांकि विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादन में हुई 0.2 फीसदी की गिरावट को प्रत्याशित ही माना जा रहा है क्योंकि अक्टूबर और दिसंबर में औद्योगिक उत्पादन गिरा था लेकिन कृषि उत्पादन में 2.2 फीसदी की कमी को लेकर खासी चिंता जताई जा रही है।
इससे पहले, चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीने के दौरान अर्थव्यवस्था की विकास दर 6.9 फीसदी रही थी।