दिल्ली में नरेला वेस्ट टू एनर्जी (WTE) प्लांट का विस्तार होने जा रहा है। जिसके बाद इस प्लांट से 60 मेगावाट बिजली पैदा होगी। अभी इस प्लांट की बिजली उत्पादन क्षमता 24 मेगावाट है।
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) ने सार्वजनिक सूचना जारी इस प्लांट की क्षमता बढ़ाने के लिए जरूरी पर्यावरणीय क्लीयरेंस के लिए जनता से 22 फरवरी तक सुझाव व आपत्तियां मांगी है। ।
बिजली उत्पादन क्षमता 24 से बढ़कर होगी 60 मेगावाट
दिल्ली सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि दिल्ली में आबादी बढ़ने के साथ ही सॉलिड वेस्ट का उत्पादन दिनों दिन बढ़ रहा है। जिसका निष्पादन या प्रबंध किया जाना आवश्यक है।
सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए वेस्ट टू एनर्जी अधिक टिकाउ विकल्प है और दिल्ली में इस पर जोर दिया जा रहा है। इसलिए नरेला स्थित WTE प्लांट का विस्तार करने का निर्णय लिया गया। अभी इसकी क्षमता 24 मेगावाट बिजली पैदा करने की है। जिसे बढ़ाकर 60 मेगावाट किया जाना प्रस्तावित है।
इस एकीकृत शहरी ठोस अपशिष्ट प्रबंधन सुविधा (IMSWMF) की प्रसंस्करण क्षमता 4,000 टन प्रति दिन है। अभी इस प्लांट में 215 श्रमिक काम कर रहे हैं। इसके विस्तार से 260 श्रमिकों व तकनीकी कर्मचारियों को और रोजगार मिलेगा। इसके अलावा 150 लोगों को अप्रत्यक्ष तौर पर भी रोजगार मिलने की संभावना है।
बिजली और लैंडफिल व्यवस्था सुधरेगी
बिजली की मांग लगातार बढ़ रही है। इस WTE प्लांट के विस्तार से बढी हुई बिजली की मांग की पूर्ति करने में मदद मिलेगी। इस प्लांट के विस्तार से आस पास बिजली की उपलब्धता में सुधार होगा। प्लांट को चलाने के लिए 5.4 मेगावाट बिजली की आवश्यकता है। जिसकी पूर्ति मौजूदा क्षमता 24 मेगावाट से की जा रही है। प्लां
ट के विस्तार के बाद बिजली की आवश्यकता इसी विस्तार से पैदा होने वाली बिजली की जाएगी। अतिरिक्त बचने वाली बिजली को स्टेट ग्रिड के सब स्टेशन से जोडा जाएगा। इस WTE प्लांट से कचरे के निष्पादन में भी मदद मिल सकती है और लैंडफिल की मात्रा में भी काफी हद कमी आने की संभावना है। WTE प्लांट के विस्तार से क्षेत्र में बेहतर आधारभूत, शैक्षिक और चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध होने की भी संभावना है।