चीन ने अमेरिका, जापान और दक्षिण कोरिया के नेताओं के बीच इस सप्ताहांत हो रहे सम्मेलन की एक बार फिर आलोचना करते हुए कहा कि किसी भी देश को ‘‘दूसरों के सुरक्षा हितों तथा क्षेत्रीय शांति एवं स्थायित्व की कीमत पर अपनी सुरक्षा का प्रयास नहीं करना चाहिए।’’
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग ने शुक्रवार को दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘अंतरराष्ट्रीय समुदाय की इस बात की अपनी समझ है कि कौन अंतर्विरोध पैदा कर रहा है तथा तनाव बढ़ा रहा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘विभिन्न विशिष्ट समूह एवं गुट बनाने तथा एशिया प्रशांत क्षेत्र में इन गुटों के बीच टकराव पैदा करने की कोशिश ठीक नहीं है और उससे निश्चित ही इस क्षेत्र के देशों में सतर्कता एवं विरोध बढ़ेगा।’’
अमेरिका के कैंप डेविड प्रेसिडेंशियल रिट्रीट में जापान एवं दक्षिण कोरिया के बीच सुरक्षा एवं आर्थिक संबंधों को और मजबूत करने पर यह सम्मेलन केंद्रित होगा। वैसे तो ऐतिहासिक दृष्टि से जापान और दक्षिण कोरिया के बीच कटुतापूर्ण संबंध रहे हैं लेकिन पिछले वर्ष उनके संबंधों में तेजी से सुधार हुआ क्योंकि प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते दबदबे और उत्तर कोरिया की ओर से लगातार बढ़ते परमाणु खतरे ने इन दोनों को चिंता में डाल दिया है।
चीन को जो भी कदम एशिया में उसके वर्चस्वशील बनने की राह में रोड़ा लगता है, वह उसे लेकर संवेदनशील रहता है। वह जापान और दक्षिण कोरिया के बीच पुरानी दुश्मनी का मुद्दा उठाता रहा है ताकि उसके दुश्मन आपस में बंटे रहें तथा क्षेत्रीय गठबंधन की अमेरिकी तरकीब कमजोर पड़ जाए।