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ऑक्सीजन में कमी पर अदालत सख्त

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 5:12 AM IST

दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र से पूछा कि कोविड-19 मरीजों के उपचार के लिए दिल्ली को ऑक्सीजन की आपूर्ति पर आदेश की तामील नहीं करने के कारण उसके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही क्यों नहीं शुरू की जाए। अदालत ने कहा, ‘आप शुतुरमुर्ग की तरह रेत में सिर छिपा सकते हैं मगर हम ऐसा नहीं करेंगे। क्या आपको इन चीजों के बारे में पता नहीं है?’
अदालत ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय पहले ही निर्देश दे चुका है और अब उच्च न्यायालय भी कह रहा है कि केंद्र को किसी भी तरह दिल्ली को तत्काल 700 टन ऑक्सीजन की आपूर्ति करनी होगी। पीठ ने कहा, ‘आप शहर का हिस्सा हैं और खुद हालात देख रहे हैं। क्या आप एकांतवास में रह रहे हैं।’
न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रेखा पल्ली के पीठ ने केंद्र की इस दलील को भी खारिज कर दिया कि मौजूदा चिकित्सकीय ढांचे को देखते हुए दिल्ली 700 टन चिकित्सकीय ऑक्सीजन की हकदार नहीं है। पीठ ने कहा कि वे हर दिन यह खौफनाक हकीकत देख रहे हैं कि लोगों को अस्पतालों में ऑक्सीजन या आईसीयू बेड नहीं मिल रहे हैं। गैस कम होने के कारण बेड की संख्या भी घटा दी गई है। अदालत ने केंद्र सरकार के दो वरिष्ठ अधिकारियों को नोटिस पर जवाब देने के लिए बुधवार को अदालत के सामने हाजिर होने का निर्देश दिया। पीठ ने कहा कि उच्चतम न्यायालय का 30 अप्रैल का विस्तृत आदेश दिखाता है कि अदालत ने केंद्र को 700 टन ऑक्सीजन मुहैया कराने का निर्देश दिया था, केवल 490 टन नहीं। पीठ ने कहा कि उच्चतम न्यायालय पहले ही आदेश दे चुका है और अब उच्च न्यायालय भी कह रहा है कि जैसे भी हो केंद्र को हर दिन दिल्ली को 700 टन ऑक्सीजन की आपूर्ति करनी होगी। पीठ ने कहा, ‘हमने आपसे कहा था कि हमारे जेहन में अवमानना अंतिम उपाय है, लेकिन यह हमारे जेहन में है और हमें यह अंतिम हथियार इस्तेमाल करने को मजबूर न करें। अब बहुत हो गया। इसे लेकर स्थिति स्पष्ट कीजिए। हम जवाब में न नहीं सुनना चाहते हैं। आपके पास 700 टन आपूर्ति के अलावा अन्य कोई रास्ता नहीं है।’

First Published : May 4, 2021 | 11:32 PM IST