नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने बैंक निफ्टी डेरिवेटिव्स अनुबंधों का निपटान गुरुवार के बजाय शुक्रवार को किए जाने का निर्णय लिया है। यह बदलाव 7 जुलाई से प्रभावी होगा और बैंकिंग क्षेत्र के सूचकांक के साप्ताहिक एवं मासिक वायदा एवं विकल्प (एफऐंडओ) अनुबंधों के लिए लागू होगा। पहली शुक्रवार की एक्सपायरी 14 जुलाई, 2023 को होगी।
एनएसई का डेरिवेटिव सेगमेंट में दबदबा है। हालांकि बीएसई को भी घटे हुए अनुबंध आकारों और शुक्रवार की एक्सपायरी के साथ अपने सेंसेक्स तथा बैंकेक्स डेरिवेटिव अनुबंधों को पुन: पेश किए जाने के बाद अच्छी प्रतिक्रिया मिली है। हालांकि मंगलवार को बीएसई का शेयर 1.7 प्रतिशत गिरकर 567 रुपये पर बंद हुआ।
ऐक्सिस सिक्योरिटीज में टेक्नीकल ऐंड डेरिवेटिव्स रिसर्च के एसवीपी राजेश पालविया ने कहा, ‘यह बदलाव लॉट आकार और विकल्प अनुबंधों के निपटान दिवस में बदलाव के लिए बीएसई के कदम की प्रतिक्रिया है। निवेशक के नजरिये से, ध्यान देने लायक एक मुख्य बिंदु कारोबार है, और एनएसई अभी भी बीएसई के मुकाबले बाजार भागीदारी के मामले में काफी बेहतर है। इसलिए उसका दबदबा बरकरार रहने की संभावना है।’
पिछली साप्ताहिक एक्सपायरी में, बीएसई ने अपने नए तरीके से पेश किए गए डेरिवेटिव अनुबंधों के लिए 69,422 करोड़ रुपये का कारोबार दर्ज किया, जिससे पूर्ववर्ती सप्ताह के मुकाबले करीब चार गुना की तेजी का पता चलता है। यह एनएसई द्वारा दर्ज कारोबार का अभी भी महज एक छोटा हिस्सा है। एनएसई के लिए यह आंकड़ा 250 लाख करोड़ रुपये के आसपास है।
स्वास्तिक इन्वेस्टमार्ट में शोध प्रमुख संतोष मीणा ने कहा, ‘बैंक निफ्टी की एक्सपायरी का दिन शुक्रवार किए जाने के एनएसई के निर्णय को दो नजरियों से देखा जा सकता है।
पहला, बीएसई एफऐंडओ अनुबंध का निपटान पहले से ही शुक्रवार को होता है और एनएसई के मुकाबले कम शुल्कों की वजह से उसे कारोबारियों के बीच लोकप्रियता भी हासिल हुई है।
इस प्रतिस्पर्धी बढ़त का मुकाबला करने के लिए एनएसई ने एक्सपायरी दिन में बदलाव लाने की पेशकश की है। दूसरा, एनएसई द्वारा फिननिफ्टी के नए एक्सपायरी दिन के पिछले सफल प्रयोग से भी इस निर्णय को ताकत मिली है।