ई-कॉमर्स से कमाई 2023 में 60–70 अरब डॉलर थी, जो 2030 तक 240–300 अरब डॉलर तक पहुंच सकती है। 2022–23 में यह कुल रिटेल बिक्री का 7–9% हिस्सा थी।
McKinsey & Company की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के 9 उभरते सेक्टर 2030 तक दुनियाभर में भारत को 588 से 738 अरब डॉलर की कमाई दिला सकते हैं। ये कमाई 2023 के मुकाबले करीब साढ़े तीन गुना ज़्यादा होगी। 2023 में इन सेक्टरों की कुल कमाई 164 से 206 अरब डॉलर के बीच थी। रिपोर्ट में बताया गया है कि ये ग्रोथ भारत की अपनी खास क्षमताओं से आएगी — जैसे तेज़ी से रिसर्च और डेवलपमेंट (R&D), पेटेंट्स और तकनीकी अपनाने की गति।
McKinsey के मुताबिक जो 9 सेक्टर भारत की कमाई को रॉकेट की रफ्तार दे सकते हैं, वे हैं:
1. ई-कॉमर्स
2. सेमीकंडक्टर
3. क्लाउड सर्विसेज़
4. साइबरसिक्योरिटी
5. इलेक्ट्रिक वाहन और बैटरी
6. AI सॉफ्टवेयर और सर्विसेज
7. स्पेस (अंतरिक्ष)
8. न्यूक्लियर फिज़न (नाभिकीय विखंडन)
9. रोबोटिक्स
इनका चयन इसलिए किया गया है क्योंकि इन सेक्टरों में या तो पेटेंट्स की संख्या बाकी सेक्टरों से दोगुनी है या फिर इन पर होने वाला R&D खर्च औसत से दुगुना है।
2023 में भारत का ई-कॉमर्स मार्केट 60 से 70 अरब डॉलर का था। 2030 तक इसके 240 से 300 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है — यानी चार गुना बढ़ोतरी। McKinsey का कहना है कि 2030 तक ई-कॉमर्स अकेले इन 9 सेक्टरों की कुल कमाई का 40% हिस्सा देगा।
भारत में कई सेमीकंडक्टर प्रोजेक्ट्स शुरू हो चुके हैं। इस सेक्टर की कमाई 2023 में 40-45 अरब डॉलर थी, जो 2030 तक 100 से 120 अरब डॉलर तक पहुंच सकती है।
AI आधारित सॉफ्टवेयर और सर्विसेज की ग्रोथ 5 से 8 गुना हो सकती है। अब तक भारत की 77,000 से ज़्यादा कंपनियां Microsoft Copilot जैसे AI टूल्स को अपना चुकी हैं। Agentic AI और इंडस्ट्रियल ऑटोमेशन का दायरा भी तेज़ी से बढ़ रहा है। इसी के चलते क्लाउड सर्विसेज की डिमांड भी तेज़ी से बढ़ रही है, जो 2023 से 2030 के बीच 4 से 5 गुना बढ़कर 70-80 अरब डॉलर तक जा सकती है।
Also Read: Stock Market Update: लाल निशान में खुला बाजार, सेंसेक्स 52 अंक टूटा; निफ्टी 25620 के करीब
इलेक्ट्रिक वाहन और बैटरी सेक्टर भी 6 से 8 गुना की तेज़ी पकड़ सकता है। McKinsey का मानना है कि इस सेक्टर की कमाई 2030 तक 40 से 60 अरब डॉलर तक जा सकती है।
सरकार की कोशिशों से स्पेस सेक्टर में भी बड़ी छलांग की उम्मीद है। 2030 तक इसकी कमाई 4 से 5 गुना बढ़ सकती है। इसी तरह, न्यूक्लियर फिज़न में भी रेवेन्यू चार से पांच गुना बढ़ने का अनुमान है। इन दोनों सेक्टरों में भारी निवेश की ज़रूरत होती है। न्यूक्लियर में कुल रेवेन्यू का 8-10% R&D पर खर्च होता है, जबकि स्पेस में यह 4% तक है, जो कि इंडस्ट्री के औसत 2% से काफी ज्यादा है।