FIIs selling: भारतीय शेयर बाजार में पिछले महीने अच्छी-खासी खरीदारी के बाद फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (FIIs) एक बार फिर नेट सेलर बन गए हैं। विदेशी निवेशकों ने अप्रैल के सिर्फ 5 ट्रेडिंग सेशन में 22,770 करोड़ रुपये की इक्विटी निकाल ली है। जबकि इस दौरान डॉमेस्टिक इन्वेस्टर्स (DIIs) ने 17,755 करोड़ रुपये की इक्विटी खरीदी है। दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के टैरिफ वार और चीन के जवाबी कदमों के कारण वैश्विक मंदी की चिंताएं बढ़ने के चलते विदेशी निवेशक सतर्क हो गए हैं।
विदेशी निवेशकों की एक बार फिर जारी बिकवाली ने निवेशकों ने चिंता बढ़ा दी है। बाजार के जानकारों का मानना है कि विदेशी निवेशकों के रुख में अचानक किसी परिवर्तन की संभावना बहुत कम है।
बाजार के जानकारों के अनुसार, डॉलर के मुकाबले घरेलू करेंसी रुपये में गिरावट से विदेशी निवेशकों के सेंटीमेंट्स प्रभावित हुए है। मंगलवार (8 अप्रैल) को रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 0.2% फिसलकर 86 रुपये पर आ गया। शुक्रवार को 14 पैसे की गिरावट के बाद सोमवार को रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 32 पैसे गिरकर 85.76 पर बंद हुआ था।
बता दें कि डॉलर की तुलना में रुपये में गिरावट से FIIs के प्रॉफिट पर असर पड़ता है। इस स्थिति में उन्हें रुपये को डॉलर में बदलने पर कम पैसे मिलते हैं। इसलिए वे भारतीय बाजारों से पैसा निकाल रहे हैं।
इंडिपेंडेंट मार्केट एनालिस्ट अंबरीश बलिगा ने कहा कि भारतीय शेयर बाजार में हाल ही में आई बड़ी गिरावट के बाद विदेशी निवेशकों (FIIs) का निवेश फिर से वापस आना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि ताजा गिरावट के बाद घरेलू बाजार अब सस्ते हो गए हैं।
उन्होंने कहा, ”निवेशक के रूप में इन्वेस्टर्स हमेशा इस तलाश में रहते है कि कौन सा मार्केट कितना अच्छा रिटर्न दे सकता है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि उभरते हुए बाजारों में भारत सबसे बेहतर बाजारों में से एक है।”
अंबरीश ने कहा, ”आम तौर पर विदेशी निवेशकों का फोकस ओवरॉल परफॉर्मेंस की बजाय बाजारों के रिलेटिव प्रदर्शन पर ज्यादा होता हैं। उन्हें इसे कहीं न कहीं निवेश करना ही होगा। ऐसे में आगे चलकर आगे चलकर डॉलर के मुकाबले रुपये में स्थिरता और चौथी तिमाही के नतीजों के सीजन के बाद विदेशी निवेशकों की भारतीय बाजारों में वापसी देखने को मिल सकती है।”
इससे पहले छह महीने तक भारी बिकवाली के बाद विदेशी निवेशक मार्च महीने में भारतीय शेयर बाजार में शुद्ध रूप से खरीदार रहे थे। उन्होंने वित्त वर्ष 2024-25 के आखिरी महीने में कुल 296,455 करोड़ रुपये की इक्विटी खरीदी थी। जबकि इस दौरान उन्होंने 294,441 करोड़ रुपये के शेयर बेचें थे। उन्होंने अप्रैल में अब तक भारत से 22,770 करोड़ रुपये के शेयर बेच दिए हैं। मार्च से पहले, उन्होंने लगातार छह महीने तक शेयर बेचे थे।
बाजार में सोमवार को पिछले साल 4 जून के बाद सबसे बड़ी एक दिवसीय गिरावट के दिन विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने ₹9,040.01 करोड़ मूल्य की इक्विटी बेची। जबकि डीआईआई ने ₹12,122.45 करोड़ मूल्य के स्टॉक खरीदे, जो इस साल की दूसरी सबसे बड़ी एक दिवसीय खरीदारी थी।
| FIIs का पिछले छह महीने का रुख |
| डेट | खरीदें | बेचें | नेट सेल/परचेज |
| मार्च 2025 | 296,455.65 | 294,441.47 | +2,014.18 |
| फरवरी 2025 | 259,256.89 | 318,244.97 | -58,988.08 |
| जनवरी 2025 | 242,699.59 | 330,074.25 | -87,374.66 |
| दिसंबर 2024 | 299,628.86 | 316,611.34 | -16,982.48 |
| नवंबर 2024 | 306,735.44 | 352,709.56 | -45,974.12 |
| अक्टूबर 2024 | 299,260.34 | 413,706.23 | -114,445.89 |
| सितम्बर 2024 | 391,389.27 | 378,777.48 | +12,611.79 |
सोर्स: एनएसई वेबसाइट। (आंकड़े: करोड़ रुपये में)
बाज़ार के एनालिस्ट्स के अनुसार, पिछले छह से सात हफ्तों में बाजार अपने हाल के हाईएस्ट लेवल से नीचे गिर गया है। हालांकि, थोड़े समय के लिए सुधार के संकेत मिले थे। लेकिन वैश्विक आर्थिक तनाव को लेकर लगातार चिंताओं के कारण स्थिरता नहीं आई है।
आनंद राठी वेल्थ में एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर चिराग मुनि का मानना है कि एफआईआई की बिकवाली पहले ही चरम पर पहुंच चुकी है और निकट भविष्य में एफआईआई निवेश वापसी की उम्मीद है। उन्होंने कहा, “भारतीय बाजार वर्तमान में आकर्षक वैल्यूएशन पर कारोबार कर रहे हैं, जिसे मजबूत मैक्रोइकॉनोमिक फंडामेंटल्स का समर्थन प्राप्त है।”