सोमवार को एक सर्वे में कहा गया कि भारतीय कंपनियों को अगर आगे बढ़ना है तो उनके मानव संसाधन विभाग को कर्मचारियों के कौशल, उनकी थकान और लचीलेपन पर ध्यान देने की जरूरत है।
60 फीसदी संगठन कौशल और प्रतिभा विकास की जरूरतों को समझते हैं, लेकिन उनमें से 50 फीसदी इस बात को लेकर स्पष्ट हैं कि आगे क्या होना है।
मर्सर के ग्लोबल टैलेंट ट्रेंड्स 2023 के एचआर लीडर पल्स सर्वे के अनुसार मानव संसाधन को कंपनियों की क्षमता सुधारने के लिए कल के लिए आवश्यक कौशल की जानकारी रखना होगा और आज की प्रतिभा को प्रशिक्षित करना होगा। भारतीय कंपनियों को कर्मचारियों के लचीलेपन पर ध्यान देने की जरूरत है। इसका कारण है कि कर्मचारी कहीं से भी काम करने को बहुत महत्व देते हैं। कई लोग अपनी इच्छा से उसके लिए वेतन वृद्धि तक को छोड़ना चाहते हैं।
वैश्विक महामारी के बाद से लचीला कार्यबल मानने की एक प्रवृत्ति देखी जा रही है और 62 फीसदी संगठनों ने इशारा किया है कि वे इसका समर्थन करते हैं।
मर्सर करियर इंडिया में पार्टनर शांति नरेश कहती हैं, ‘आशावादी और महत्त्वाकांक्षी भारत के रूप में 2023 एक बड़ा साल होगा। यह वैश्विक वातावरण के बीच परिवर्तन लाने के लिए दिखता है।’ कंपनियों के एचआर को खुद को तैयार करना होगा और कंपनी के आगे के कारोबार का भी नेतृत्व करना होगा।
महंगाई, मंदी और तंग श्रम बाजार के बीच भारत की 45 फीसदी कंपनियां अपने कर्मियों की भलाई के लिए काम की रूपरेखा को फिर से तैयार कर रही हैं। वे कर्मचारियों के काम के दबाव को कम कर रही है, नो-मीटिंग डे और काम का बढ़िया माहौल दे रही हैं।
सर्वे के अनुसार, 93 फीसदी कंपनियों ने कहा कि उनके पास 2023 में कर्मचारियों के हित के लिए नीतियां हैं। अधिकांश कंपनियों ने कहा कि वे कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए सहायता प्रदान करती हैं और उनमें से 21 फीसदी ने कहा कि वे स्वास्थ्य और जोखिम सुरक्षा कार्यक्रमों में निवेश करती हैं।