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भारत में धनाढ्यों की खरीदारी की क्षमता बढ़ती जा रही है और लक्जरी कार कंपनियां इसका फायदा उठाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। इसके लिए तमाम लक्जरी कार ब्रांड देश भर में, खास तौर पर छोटे एवं मझोले शहरों में अपनी मौजूदगी बढ़ाने की तैयारी कर रहे हैं।
मर्सिडीज-बेंज इंडिया ने हाल में अपने 25 आउटलेट को लक्जरी लाउंज में बदलने का ऐलान किया है, जिसके लिए कंपनी 150 करोड़ रुपये खर्च करेगी। नए डिजाइन वाले शोरूम ग्राहकों को शानदार अनुभव प्रदान करेंगे। कंपनी मानती है कि इससे भारत में अमीर उपभोक्ताओं को अहसास होगा कि यह ब्रांड उनकी बदलती जरूरतों का कितना ख्याल रखता है और उन्हें पूरा भी करता है।
ब्रिटेन की मशहूर लक्जरी स्पोर्ट्स कार कंपनी एस्टन मार्टिन ने पिछले साल ही कहा था कि वह साल भर के भीतर दक्षिण भारत में नई डीलरशिप खोलेगी। कंपनी भारत में बिकने वाली अपनी कारों की संख्या दोगुनी करना चाहती है। फिलहाल दिल्ली में सिलेक्ट कार्स नाम से उसकी इकलौती डीलरशिप है।
दक्षिण भारत में डीलरशिप खोलने का एस्टन मार्टिन का फैसला वहां स्पोर्ट्स कार की बिक्री में हो रही तेज वृद्धि को देखकर आया है। पिछले साल बेंगलूरु में ही अल्ट्रा-लक्जरी कार बाजार 35 फीसदी चढ़ गया था।
एक अन्य प्रमुख लक्जरी कार ब्रांड लैम्बोर्गिनी भी भारत में विस्तार करने की योजना बना रहा है। कंपनी ज्यादा ग्राहकों तक पहुंचने के लिए पूर्वी एवं दक्षिणी भारत के छोटे शहरों में डीलरशिप खोलने पर विचार कर रही है।
लैम्बोर्गिनी के क्षेत्रीय निदेशक (एशिया प्रशांत) फ्रैंसिस्को स्कार्डाओनी ने बताया कि कंपनी के नए ग्राहकों में 20 फीसदी ऐसे हैं, जो पहली बार कार खरीद रहे हैं। ऐसे ग्राहकों की तादाद भी बहुत अधिक है, जो उसके एसयूवी मॉडल लैंबोर्गिनी उरुस को छोड़कर दूसरे मॉडल खरीद रहे हैं। लैंबोर्गिनी की गाड़ियों की मांग इतनी ज्यादा है कि ग्राहकों को उनके लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है।
ऑडी इंडिया की ऑडी अप्रूव्ड प्लस फैसिलिटी की संख्या 2020 में केवल 7 थी, जो आज बढ़कर 27 हो चुकी है। इस तरह उसके 64 से ज्यादा टचपॉइंट यानी बिक्री केंद्र हो चुके हैं। कंपनी उन इलाकों में अपने ग्राहक बढ़ाने पर ज्यादा जोर दे रही है, जहां लक्जरी कारों की मांग बढ़ रही है।
उद्योग विशेषज्ञों को इस वृद्धि की कई वजहें नजर आती हैं। इनमें धनाढ्यों की बढ़ती आबादी, लक्जरी कार खरीदने में युवाओं की ज्यादा दिलचस्पी और कर लाभ आदि शामिल हैं। लक्जरी कार मालिकों का औसत उम्र घटकर करीब 40 साल हो गई है और इनमें नौकरीपेशा तथा पेशेवरों की तादाद बढ़ रही है। लक्जरी कारों की सबसे अधिक बिक्री 2023 में हुई थी। उस साल देश में 45,000 लक्जरी कार बिकी थीं, जो 2022 के मुकाबले 20 फीसदी ज्यादा आंकड़ा था। समूचे कार उद्योग के मुकाबले यह दोगुनी वृद्धि थी।
इक्रा में वाइस प्रेसिडेंट और सेक्टर हेड (कॉरपोरेट रेटिंग्स) रोहन कंवर गुप्ता ने कहा, ‘भारत में ब्रांडों के बारे में जानकारी बढ़ रही है और अमेरिका, चीन तथा जर्मनी जैसे देशों के मुकाबले यहां लक्जरी कारों की पैठ बहुत कम है। इसलिए ठीक ठाक समय तक लक्जरी कारों की मांग बहुत अधिक रहेगी। इस श्रेणी का प्रदर्शन समूचे यात्री वाहन बाजार के मुकाबले बेहतर रहने की उम्मीद है। इसीलिए दुनिया भर की लक्जरी कार कंपनियां भारतीय बाजार पर ध्यान बढ़ा रही हैं।’
लक्जरी कारों की मांग केवल महानगरों तक सीमित नहीं है। छोटे एवं मझोले शहरों में स्टार्टअप एवं उद्यमियों की संख्या बढ़ने से भी महंगी लक्जरी कारों की बिक्री बढ़ी है। संपन्नता आने के साथ ही लोग उसे जताने के लिए लक्जरी कारें भी खरीद रहे हैं।