भारत में 15 कार निर्माता कंपनियों में से 8 की बाजार भागीदारी 2 प्रतिशत से कम रह गई है। इससे भारत के प्रतिस्पर्धी बाजार में उनके लंबी अवधि तक टिके रहने के भविष्य को लेकर आशंका बढ़ गई है।
फोर्ड मोटर्स और जनरल मोटर्स पहले ही भारत में अपने कारोबार पर दबाव के बाद चली गई हैं। ये आठ कंपनियां हैं- होंडा, निसान, रेनो, एमजी मोटर्स, फोक्सवैगन और स्कोडा, इसूजू, फिएट ट्राइसलर ऑटोमोबाइल (जो जीप की बिक्री करती है) और पीसीए मोटर्स (स्टेलैंटिस की भारतीय इकाई, जिसने सित्रां सी5 एयरक्रॉस को पेश किया)।
बाजार में बढ़ रहे समेकन का असर इससे जाहिर होता है कि प्रमुख चार कंपनियों…मारुति सुजूकी, टाटा मोटर्स, ह्युंडै, एमऐंडएम की अप्रैल-अक्टूबर 2023 की बाजार में 81 प्रतिशत भागीदारी रही। यदि अन्य दो – किया और टोयोटा को शामिल किया जाए तो यह आंकड़ा 92 प्रतिशत के पार पहुंच जाता है।
कमजोर भागीदारी वाली आठ कंपनियों की कुल बाजार हिस्सेदारी इस दौरान 5.19 प्रतिशत रही। हालांकि इस सूची के अनुसार फोक्सवैगन (1 प्रतिशत) और स्कोडा (1.1 प्रतिशत) की भागीदारी संयुक्त रूप से महज 2 प्रतिशत रही।
वाहन उद्योग के विश्लेषकों और ह्युंडै इंडिया के पूर्व अध्यक्ष बीवीआर सुब्बू का कहना है कि कई और कंपनियां फोर्ड तथा जनरल मोटर्स के की राह पर चल सकती हैं।
सुब्बू ने कहा, ‘मैं नहीं मानता कि कंपनियों की ताकत के आधार पर अगले तीन से चार वर्षों में भारत में सात या आठ से अधिक दिग्ग्ज होंगे।’ उनके पूर्वानुमान में टेस्ला और ओला इलेक्ट्रिक जैसी नई कंपनियां शामिल हो सकती हैं।
इनमें से कुछ कंपनियों के सपने कैसे डगमगा गए हैं, यह उनकी पहले की घोषणाओं और आज की हकीकत से देखा जा सकता है। वर्ष 2009 में दुनिया में नंबर एक कार निर्माता फोक्सवैगन ने घोषणा की थी कि उसने घरेलू बाजार की
8-10 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी का लक्ष्य रखा है।
इस साल के शुरू में, स्कोडा-फोक्सवैगन इंडिया के प्रबंध निदेशक पीयूष अरोड़ा ने मीडिया को बताया था कि कंपनी 2023 में सिर्फ 5 प्रतिशत बाजार भागीदारी की उम्मीद कर रही है। अब करीब डेढ़ महीना बाकी है और मौजूदा आंकड़ा 2 प्रतिशत पर है। जाहिर है, लक्ष्य बेहद कठिन दिख रहा है।
वर्ष 2010 में होंडा ने कहा था कि वह उस साल भारत में 10 प्रतिशत बाजार भागीदारी की संभावना तलाशेगी। 2018 में भारत में तब होंडा के प्रबंध निदेशक योशिरो यूनो ने भी यही लक्ष्य दोहराया था।
इस समय यानी अप्रैल-अक्टूबर 2023 में होंडा की भागीदारी महज 1.9 प्रतिशत है। भारत में होंडा के अध्यक्ष एवं मुख्य कार्याधिकारी ताकूया सुमूरू का कहना था कि कंपनी भारत से निकलने की संभावना नहीं तलाश रही है।