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फेसलेस आकलन से निपटे 7,000 मामले

Last Updated- December 15, 2022 | 4:37 AM IST

आयकर विभाग ने फेसलेस आकलन प्रक्रिया के माध्यम से बगैर किसी अतिरिक्त कर मांग के अब तक 7,116 मामले निपटाए हैं। यह व्यवस्था पिछले साल शुरू की गई थी। वहीं 291 मामलों में अतिरिक्त कर की मांग का प्रस्ताव किया गया है।
सूत्रों ने कहा कि उपरोक्त सभी मामलों के समाधान में करदाताओं का उत्पीडऩ खत्म हुआ है और कर पेशेवरों को करीब अलग रखा गया है। उन्होंने कहा कि फेसलेस आकलन में करदाताओं के साथ सभी तरह का संपर्क दिल्ली के केंद्रीय सेल द्वारा इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से किया जाता है और सभी आकलन अधिकारियों की पहचान करदाताओं से गुप्त रखी जाती है।  वित्त मंत्रालय के एक उच्च पदस्थ सूत्र ने कहा, ‘आयकर विभाग का फेसलेस आकलन प्रत्यक्ष कराधान के क्षेत्र में परिवर्तनकारी है। इससे करदाताओं को ताकत मिली है और मशीनीकरण के माध्यम से काम करने से भारत का कुल मिलाकर कर प्रशासन के बारे में धारणा बदली है।’
फेसलेस आकलन की व्यवस्था 7 अक्टूबर 2019 को शुरू की गई थी। पहले चरण में कुल 58,319 मामले फेसलेस आकलन के लिए आवंटित किए गए थे, जो बेतरतीब और स्वचालित तरीके से आवंटित किए गए थे।
इन मामलों को भौगोलिक अधिकार क्षेत्र से दूर रखा गया था और कंप्यूटर की गणना के आधार पर आवंटन किया गया था।
सूत्रों ने कहा कि पहले जांच के मामले में आकलन की प्रक्रिया के दौरान करदाताओं या उनके कर पेशेवरों की जरूरत होती थी कि वे कई बार आयकर विभाग के कार्यालय आएं। तमाम आरोप लगते थे और आकलन के दौरान कुछ विवेकाधीन और व्याख्या संबंधी मामले आए। सूत्रों ने कहा कि अब करीब 99 प्रतिशत रिटर्न की ई-फाइलिंग होती है। हर साल 6 करोड़ रिटर्न में चुने गए जोखिम मानकों के मुताबिक सिर्फ 3,00,000 रिटर्न जांच के दायरे में आते हैं। यह मामले कंप्यूटर के माध्यम से सामने आते हैं और जांच के लिए चुने जाते हैं।
जांच के कुछ मामले तय मानदंडों के मुताबिक मैनुअल भी चुने जाते हैं। पुराने कर आकलन भी खोले जा सकते हैं, अगर आकलन अधिकारी इसके लिए पर्याप्त वजह पाता है और यह विश्वास करता है कि आकलन में कुछ आमदनी नहीं दिखाई गई है। 

First Published - July 20, 2020 | 12:21 AM IST

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