RBI की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने शुक्रवार को रेपो रेट में 0.25% की कटौती कर इसे 5.25% कर दिया। यह फैसला सर्वसम्मति से लिया गया और नीति का रुख (स्टांस) न्यूट्रल ही रखा गया। इस घोषणा का सीधा असर बाजार पर दिखा और रेट-सेंसिटिव यानी ब्याज दरों से प्रभावित होने वाले शेयरों में तेजी आ गई। वित्तीय कंपनियों के शेयर 2% तक चढ़ गए।
सुबह 11 बजे के आसपास निफ्टी रियल्टी और निफ्टी PSU बैंक इंडेक्स 1% ऊपर थे। वहीं निफ्टी ऑटो, निफ्टी बैंक और निफ्टी फाइनेंशियल सर्विसेज इंडेक्स में 0.30% से 0.60% तक की तेजी देखी गई। इसके मुकाबले निफ्टी 50 में 0.21% की बढ़त थी।
निफ्टी फाइनेंशियल सर्विसेज में शामिल SBI कार्ड्स, श्रीराम फाइनेंस, चोलामंडलम इन्वेस्टमेंट, बजाज फाइनेंस, बजाज फिनसर्व और मुथूट फाइनेंस के शेयर 2% तक उछले। सरकारी बैंकों में- SBI, इंडियन बैंक, PNB, केनरा बैंक, बैंक ऑफ इंडिया के साथ-साथ DLF, ओबेरॉय रियल्टी, प्रेस्टिज एस्टेट्स जैसे रियल एस्टेट शेयरों में भी 1% से 2% की बढ़त दर्ज की गई।
बाजार में पर्याप्त नकदी (लिक्विडिटी) बनी रहे, इसके लिए RBI ने कहा कि वह इस महीने 1 लाख करोड़ रुपये के सरकारी बॉन्ड खरीदेगा (OMO Purchase)। साथ ही, 5 अरब डॉलर का 3 साल का USD/INR स्वैप सौदा भी करेगा। इससे वित्तीय सिस्टम में स्थायी नकदी बढ़ेगी और बाजार में स्थिरता आएगी।
RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि आने वाले समय में हेडलाइन और कोर महंगाई दोनों 4% या उससे नीचे रह सकती हैं। यह बाजार और उपभोक्ताओं के लिए सकारात्मक संकेत है क्योंकि इससे ब्याज दरों में ढील देने की गुंजाइश मिलती है।
जियोजीत इन्वेस्टमेंट्स के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट डॉ. वी.के. विजयकुमार ने कहा कि RBI ने मजबूत आर्थिक वृद्धि के बावजूद ग्रोथ को और बढ़ाने के लिए दरें घटाई हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि बैंकों को इससे बहुत ज्यादा फायदा नहीं मिलेगा क्योंकि कम ब्याज दरों से उनकी नेट इंटरेस्ट मार्जिन (NIMs) पर दबाव आएगा, लेकिन ऑटो और रियल एस्टेट जैसे सेक्टर को फायदा होगा।
राइट होराइजन्स PMS के फाउंडर अनिल रेगो ने कहा कि RBI ने रेपो रेट घटाकर और न्यूट्रल स्टांस रखकर महंगाई कम होने के रुझान को ध्यान में रखा है तथा रुपये पर दबाव को कम करने की कोशिश की है। उनके अनुसार, OMO और FX स्वैप से बाजार की लिक्विडिटी मजबूत रहेगी, जिससे वित्तीय स्थिति स्थिर बनी रहेगी।
उन्होंने कहा कि कम ब्याज दरें आगे चलकर हाउसिंग, MSMEs, कैपेक्स और इंडस्ट्री के वर्किंग कैपिटल में सुधार ला सकती हैं। अगर महंगाई नियंत्रण में रही और विदेशी निवेश का फ्लो स्थिर रहा, तो यह कदम भारत की विकास गति को FY27 तक मजबूत बनाए रख सकता है।