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लौह अयस्क खदान का अधिग्रहण करेगी आर्सेलर-मित्तल

Last Updated- December 05, 2022 | 4:28 PM IST

आर्सेलर-मित्तल कंपनी चिरिया के अलावा कई स्वतंत्र खदानों पर अधिकार जमाने की तैयारी में है।
 इस प्रतिस्पर्धा में सरकार-संचालित प्रमुख कंपनी सैल और अन्य इस्पात निर्माता कंपनियां शामिल हैं। इस पहल से उच्च गुणवत्ता वाले लौह अयस्क खदानों को लेकर जारी गतिरोध को समाप्त करने में मदद मिल सकती है।
आर्सेलर-मित्तल के मुख्य वित्तीय अधिकारी आदित्य मित्तल के अनुसार, ”मैं यह कह रहा हूं कि हम अपनी लौह अयस्क जरूरतों की पूर्ति करने वाली अलग खदान का अधिग्रहण करने या चिरिया में प्रत्यक्ष आवंटन पाने या संयुक्त आधार पर काम करने को लेकर तैयार हैं। मेरा मतलब है कि हम खुले हैं, हम कोई बंद कंपनी नहीं हैं।”
वैश्विक इस्पात उत्पादन में आर्सेलर-मित्तल  की कम से कम 10 फीसदी की भागीदारी है। यह कंपनी झारखंड और उड़ीसा में 1.2 करोड़ टन क्षमता वाले दो नए समेकित संयंत्रों की स्थापना को लेकर वचनबद्ध है जिस पर 80,000 करोड़ रुपये की कुल लागत आएगी।
उन्होंने कहा कि अपनी परियोजना को लेकर हम व्यवहार्यता सुनिश्चित करेंगे और यह बेहद महत्वपूर्ण है।
 झारखंड और उड़ीसा की परियोजनाओं में लौह अयस्क क्षमता के अधिग्रहण पर कंपनी का नजरिया स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा, ”समूह इसे लेकर गंभीर है। हमने अच्छे विचारों को सार्वजनिक किया है। यह सिर्फ एकतरफा प्रक्रिया होगी। हमारी परियोजना की व्यवहार्यता हमें स्वीकार्य है।”
जब उनसे यह पूछा गया कि क्या आर्सेलर-मित्तल घरेलू बाजार से लौह अयस्क के स्रोत के लिए तैयार होगी, तो मित्तल ने कहा, ”हमारा फोकस यह है कि हम वर्टिकली इंटीग्रेटेड बनना चाहते हैं। यह कम खर्च वाली स्थिति होनी चाहिए। ”
कैप्टिव माइंस के आवंटन में अनिश्चितता को लेकर परियोजना की स्थापना में विलंब के बारे में मित्तल ने स्पष्ट किया कि उनकी कंपनी इन परियोजनाओं को शुरू किए जाने को लेकर प्रतिबद्ध है।

First Published - March 7, 2008 | 9:07 PM IST

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