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उम्र बढ़ी तो बीमा कंपनियां पीछे हटीं

Last Updated- December 05, 2022 | 4:40 PM IST


पिछले कुछ दशकों से चिकित्सा विज्ञान ने बहुत तरक्की की है। औसत आयु भी इस दौरान बढ़ी है। एक रिपोर्ट के अनुसार अगले दशक तक औसत आयु भी 77 वर्ष से बढ़कर 85 वर्ष हो जाएगी। इस तरह के परिदृश्य में अप्रत्याशित चिकित्सा खर्च में बढाेतरी आना स्वाभाविक है।


 


अब जबकि संयुक्त परिवार प्रथा बीते दिनों की बात हो चली है, ऐसे में अप्रत्याशित खर्चों का बोझ लोगों को अपनी पेंशन से पूरा करना पड़ रहा है, खासकर सेहत से जुड़े मामलों में यह चलन काफी देखा गया है। ऐसी किसी भी स्थिति से निपटने के लिए स्वास्थ्य बीमा ही लोगों के काम आता है, ये शब्द एक बीमा एजेंट ने मुझसे कहा था, जब वह मेरे पास एक मेडिक्लेम पॉलिसी लेकर आया। जब मैंने कहा कि मैं पॉलिसी लेने के लिए तैयार हूं तो उसके चेहरे पर रौनक आ गई, लेकिन जैसे ही मैंने उसे बताया कि यह पॉलिसी मैं अपने मातापिता के लिए ले रहा हूं, तो उसका रवैया बदल चुका था।


 


कड़वा सच यही है कि बीमा कंपनियां बुजुर्गों का बीमा करने से कतराती हैं। यही नहीं, 45 से 55 आयु वर्ग के लोगों को भी मेडिक्लेम पॉलिसी लेने के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है और 55 साल से ऊपर वाले लोगों के लिए यह बेहद मुश्किल होता जा रहा है। बीमा कंपनियां 50 वर्ष से ऊपर वाले पहली बार के बीमा ग्राहकों से भी कन्नी काट रही हैं। नवीनीकरण के दौरान प्रीमियम राशि में 100 फीसदी के इजाफे की उम्मीद है। वैसे यह देखा गया है कि बीमा कंपनियां 60 वर्ष से अधिक उम्र वाले लोगों का बीमा करने की इच्छुक नहीं होतीं। जब दावे के निपटारे की बात आती है तब भी जिसका बीमा होता है उसको दावे का एक हिस्सा ही मिल पाता है।


 


एक बीमा एजेंट के अनुसार, 45 साल के बाद सेहत पर होने वाले खर्चे के लिए बीमा कंपनियों के बजाय दूसरी अन्य बचतों पर निर्भर रहना ज्यादा बेहतर विकल्प है। उधर, बीमा कंपनियां अधिक उम्र के लोगों का बीमा करने पर एजेंट को कम कमीशन देने लगी हैं। इन कंपनियों का यह कदम इन एजेंटों के लिए संकेत है कि बढ़ती उम्र के लोगों का बीमा करना न तो उनके लिए और न ही कंपनी के लिए मुनाफे का सौदा है। एक सरकारी बीमा कंपनी के एजेंट का कहना है कि पहले 45 साल से अधिक उम्र वाले लोगों का बीमा करने पर 15 फीसदी का कमीशन मिलता था, वहीं अब इसको घटाकर महज 10 फीसदी कर दिया गया है।


 


61 साल के एक रिटायर्ड स्कूल टीचर एस जगन्नाथन ने सरकारी बीमा कंपनी से अपने लिए 3 लाख और अपनी पत्नी के लिए 2 लाख का मेडिक्लेम बीमा कराया था। इतने सालों से उन्होंने मेडिक्लेम पॉलिसी पर दावा नहीं किया था। पिछले साल इस दंपत्ति ने नवीनीकरण के तौर पर 13,000 रुपये की प्रीमियम राशि का भुगतान किया। जब जगन्नाथ ने बीमा कंपनी से इस साल नवीनीकरण के लिए संपर्क किया तो उन्हें मालूम पड़ा कि इस साल उन्हें 20,000 रुपये की राशि का भुगतान करना पड़ेगा।


 


ऐसे में सवाल उठता है कि इतना ज्यादा प्रीमियम का भुगतान वे कैसे कर सकते हैं, जबकि पेंशन और परिसंपत्तियों से उनकी आय 20,000 रुपये है। ऐसे में जगन्नाथ के पास यह विकल्प बचता है कि वह या तो बीमित राशि (सम एश्योर्ड) को कम कर दे या फिर इस प्लान को ही छोड़ दे।


 


कोई भी बीमा कंपनी वरिष्ठ नागरिकों के हित में अलिखित दावे को स्वीकार नहीं करते हैं। निजी क्षेत्र की बीमा कंपनी के एक अधिकारी ने बताया कि पिछले कुछ सालों से हमने प्रीमियर राशि में बढ़ोतरी कर दी है। दरअसल, ऐसा करना जरूरी हो गया था, क्योंकि हेल्थकेयर का खर्च काफी बढ़ गया है। स्थिति यह है कि ज्यादातर मामलों में 100 रुपये के प्रीमियम पर हमें 140 रुपये का भुगतान करना पड़ता है। यही नहीं, दावे की संख्या में काफी बढ़ोतरी आई है। वरिष्ठ नागरिकों की ओर से अधिक दावे किए जाने की वजह से बाजार में काफी जोखिम है। बावजूद इसके हम वरिष्ठ नागरिकों को मेडिक्लेम की सुविधा मुहैया कराने के लिए आगे आ रहे हैं।

First Published - March 18, 2008 | 2:17 AM IST

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