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ओटीटी-डिजिटल मंचों पर लगेगी लगाम!

Last Updated- December 14, 2022 | 9:23 PM IST

सरकार ने ऑनलाइन मंचों पर उपलब्ध होने वाली फिल्मों, ऑडियो-वीडियो और समाचार एवं समसामयिक विषयों से संबंधित सामग्रियों को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में लाने का फैसला किया है। कैबिनेट सचिवालय की ओर से मंगलवार रात जारी एक अधिसूचना के मुताबिक नेटफ्लिक्स जैसे ओवर दि टॉप (ओटीटी) ऑनलाइन सामग्री प्रदाताओं को भी मंत्रालय के दायरे में लाया गया है।

नियमों में संशोधन
इस अधिसूचना में कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 77 के खंड तीन में निहित शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए भारत सरकार ने (कार्य आबंटन) नियमावली, 1961 को संशोधित करते हुए यह फैसला किया है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हस्ताक्षर के साथ ही इसे तत्काल प्रभाव से लागू हो गया। इसके साथ ही सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय अब ऑनलाइन मंचों पर उपलब्ध सामग्रियों की नीतियों के नियमन का अधिकार मिल गया है। अधिसूचना के मुताबिक इन नियमों को भारत सरकार (कार्य आबंटन) 357वां संशोधन नियमावली, 2020 कहा जाएगा।

बढ़ी निराशा
ओटीटी मंचों को सूचना और प्रसारण मंत्रालय के दायरे में लाए जाने से लेखकों और निर्देशकों ने कहा कि इस फैसले से वैश्विक स्तर पर देश के सामग्री लेखकों को नुकसान हो सकता है तथा इससे निर्माताओं और दर्शकों की रचनात्मक एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता प्रभावित हो सकती है। नेटफ्लिक्स, एमेजॉन प्राइम और डिज्नी हॉटस्टार जैसे ओटीटी मंचों तथा ऑनलाइन समाचार एवं समसामयिक मामलों से जुड़ी सामग्री को मंत्रालय के दायरे में लाए जाने के फैसले पर निराशा व्यक्त करने वालों में हंसल मेहता और रीमा कागती जैसे फिल्मकार शामिल हैं।
हालांकि एम एक्स प्लेयर के मुख्य कार्याधिकारी करण बेदी ने कहा कि वह स्व-नियमन की दिशा में प्रयासों को क्रियान्वित करने के लिए मंत्रालय के साथ काम करने को लेकर आशान्वित हैं। बेदी ने कहा, ‘जिम्मेदार सामग्री निर्माता की तरह हम चाहते हैं कि यह कदम न सिर्फ प्रसारित की जा रही सामग्री की प्रकृति का संज्ञान ले बल्कि यह भी सुनिश्चित करे कि हम इस तेजी से बढ़ते क्षेत्र में रचनात्मकता की रक्षा कर सकें।’ कई अन्य बड़े ओटीटी मंचों ने संपर्क करने पर इस पर टिप्पणी करने से इनकार किया। संबंधित कदम सूचना और प्रसारण मंत्रालय को ऑनलाइन मंचों पर समाचार और फिल्मों से संबंधित नीतियों के नियमन की शक्तियां प्रदान करता है।

स्पष्टीकरण जरूरी
मेहता ने सरकार के कदम पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर नियंत्रण ठीक नहीं है। वहीं, कागती ने कहा, ‘सेंसरशिप के बारे में कुछ खास नहीं कहा गया है सिवाय इसके कि यह सूचना और प्रसारण मंत्रालय के दायरे में आ गया है। यह देखने के लिए इंतजार करना चाहिए कि वास्तव में इसका क्या तात्पर्य है।’ निर्देशक एवं लेखक अंशुमन ने फैसले को अस्वीकार्य बताया और दर्शकों तथा सामग्री निर्माताओं से चुनौती देने की अपील की।  

एनसीसीसी निदेशक को मिली जिम्मेदारी
सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत ऑनलाइन सामग्री पर रोक लगाने संबंधी आवश्यक निर्देश देने के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के राष्ट्रीय साइबर समन्वय केंद्र (एनसीसीसी) के निदेशक को नोडल अधिकारी नियुक्त किया है। एक अधिसूचना में यह जानकारी दी गई।
    एक अधिकारी ने कहा कि 10 नवंबर 2020 को जारी हुई ताजा अधिसूचना इससे पहले वाली का स्थान लेगी और कोई नई शक्ति प्रदान नहीं की गई है। इससे पहले 20 जनवरी 2010 को अधिसूचना जारी की गई थी। इससे पहले अन्य अधिकारी को यह शक्ति प्रदान की गई थी और अब एनसीसीसी के निदेशक को शक्तियां दी गई हैं। आईटी अधिनियम के मुताबिक, प्राधिकृत अधिकारी एक समिति की सिफारिश के आधार पर वेबसाइट को ब्लॉक करने का आदेश दे सकता है।  एनसीसीसी के निदेशक वेबसाइट ब्लॉक करने को लेकर धारा 69 के प्रावधानों का उपयोग करेंगे और जरूरी आदेश जारी करेंगे। अधिसूचना के मुताबिक, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69ए के उपखंड (1) के अंतर्गत दी गई शक्तियों के साथ सूचना प्रौद्योगिकी नियम 2009 के नियम 3 के तहत, सरकार ने एनसीसीसी के निदेशक को प्राधिकृत अधिकारी के रूप में नामित किया है।

First Published - November 11, 2020 | 11:33 PM IST

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