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टीवी कलाकारों के पैकेज पर, मंदी की गाज

Last Updated- December 11, 2022 | 2:01 AM IST

केबल टीवी ने भारत में टेलीविजन चैनलों की शक्ल बदल दी है। एक के बाद एक दर्जनों चैनलों ने रंगीन टीवी में अपनी जगह बना ली और अब आलम यह है कि टेलीविजन खुद अपने आप में एक उद्योग है।
हजारों कलाकारों के साथ टेलीविजन पर इस समय सैकड़ों कार्यक्रम आ रहे हैं। लेकिन अब टेलीविजन के इस रुपहले पर्दे पर भी मंदी की आंच देखने को मिल रही है। पहले तो प्रोडक्शन कंपनियों ने नकदी की कमी के चलते अपनी कुछ परियोजनाओं को ठंडे बस्ते में डाल दिया और अब उनकी नजर महंगे होते कलाकारों की मोटी जेब पर है।
उद्योग जगत के जानकारों का मानना है कि मंदी के नाम पर अब प्रोडक्शन कंपनियों को टीवी कलाकारों के पैकेज पर कैंची चलाने का मौका मिला गया है। उनका कहना है कि पिछले साल यूनिट वर्करों के साथ हुए समझौते के चलते निर्माता उनके वेतन में कटौती नहीं कर सकते। अब अपने धारावाहिकों के बजट में कटौती के नाम पर वे मोटे-मोटे पैकेज पाने वाले टीवी कलाकारों का ही सहारा ले रहे हैं।
‘राजा की आएगी बारात’ में ‘ठुमकी’ का किरादार निभा रहीं नुपुर अलंकार का कहना है, ‘ऐसा नहीं है कि मंदी के चलते काम खत्म हो गया है। पिछले 3 महीने में मुझे 17 प्रोजेक्ट के लिए ऑफर मिला, जिनमें उतरन और गृहस्थी शामिल है। हां, लेकिन एक बात है कि अब उन्होंने मंझे हुए कलाकारों को कम पैसे देने के लिए मंदी को एक बहाना बना लिया है।
सिर्फ कलाकारों ही नहीं प्रोडक्शन टीम के सभी सदस्यों के वेतन पर कैंची चलाई जा रही है या इस बारे में बात हो रही है।’ नुपुर का कहना है कि कलाकारों को पहले जितना पैसा दिया जाता है अब मंदी के नाम पर कलाकारों के वेतन में एक-तिहाई तक की कटौती की जा रही है।
उद्योग जगत के सूत्रों का कहना है कि कई प्रोडक्शन हाउस ने काफी पारिश्रमिक घटाया है, जिनमें एकता कपूर का बालाजी टेलीफिल्म्स भी शामिल है। स्टार इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के कार्यकारी उपाध्यक्ष और महाप्रबंधन कीर्तन आद्यांत्य ने ई-मेल के जवाब में बताया कि मंदी का टीवी चैनलों पर कमाई के लिहाज से असर दिखाई दे रहा है, लेकिन इसके चलते हमने किसी शो का बजट कम नहीं किया है।
उनका कहना है, ‘हम अपने धारावाहिकों पर काफी कड़ी नजर रख रहे हैं और जिन धारावाहिकों या शो का प्रदर्शन हमारे लिहाज से कम चल रहा था, हमने उन्हें बंद कर दिया है। अपने शो के कलाकारों को दिए जाने वाले पैकेज में कटौती न कर, हम दूसरे ऐसे खर्चों को कम करने पर ध्यान दे रहे हैं, जो अभी इतने महत्वपूर्ण नहीं हैं।’ आद्यांत्य का कहना है कि कैसे भी आर्थिक हालात रहें, हम इस प्रक्रिया को जारी रखेंगे।
टेलीविजन कलाकार आशीष रॉय मानते हैं कि मंदी के नाम पर बहती गंगा में सभी हाथ धो रहे हैं। उनका कहना है, ‘हम सभी दैनिक पारिश्रमिक पाते हैं। मैंने हमेशा कोशिश की है कि मैं जो कीमत मांग रहा हूं, वह वाजिब रहे। जो लोग आज ज्यादा मांगते हैं, प्रोडयूसर उन्हीं के पैकेजों पर अब ध्यान दे रहे हैं। लेकिन यह भी सही है कि मंदी को देखते हुए कई प्रोडक्शन हाउस ऐसे भी हैं जो बिना वजह के भी लोगों के पैकेज काट रहे हैं। आज कई कलाकारों की पेमेंट के चेक बैंकों से क्लियर नहीं हो रहे। अब जब प्रोडक्शन हाउस को चैनल पैसा नहीं दे रहे, तो वे कहां से कलाकारों को पेमेंट करेंगे।’
गौरतलब है कि आशीष रॉय निर्माता (कोबरा) भी रह चुके हैं, लेकिन आज वे मंदी को देखते हुए दोबारा निर्माता नहीं बनना चाहते। उनका कहना है कि आज जो मैं प्रोडयूसर की हालत देखता हूं तो मैं दोबारा इस क्षेत्र में उतरने के बारे में नहीं सोच पाता।
टेलीविजन उद्योग के लिए धारावाहिकों की स्क्रिप्ट तैयार करने वाले लेखक अहसान बक्श का कहना है, ‘उद्योग जगत मंर काम तो चल रहा है। मैं कहूंगा कि टेलीविजन के बजाए फिल्म उद्योग पर अधिक असर पड़ रहा है। मैं लेखन से जुड़ा हुआ हूं और यह क्रिएटिव काम है। क्रिएटिविटी में कोई भी समझौता नहीं होता। लेकिन उद्योग से जुड़े होने की वजह से यह कह सकता हूं कि मंदी के चलते उद्योग में पुराने और महंगे कलाकारों की जगह अब नए चेहरे ले रहे हैं, जिन्हें कम पैसा देना पड़ता है।’
उद्योग सूत्रों का कहना है कि कलाकारों के पैकेज में कटौती के साथ-साथ उन्हें प्रोडक्शन हाउस और टीवी चैनल दोनों उनकी पेमेंट में काफी देरी भी लगा रहे हैं। सुचेता पावसे खन्ना (पहले धारावाहिक, ये है मुंबई मेरी जान) बताती हैं, ‘ये सही है कि एक मानक बन गया है, इसलिए पुराने कलाकार उससे कम रुपये नहीं लेते और जहां बात नए चेहरों की है वे किसी भी कीमत पर काम चाहते हैं।
मैं यह कहूंगी कि ऑफर कम आ रहे हैं, लेकिन फिर भी मुझे ऑफर मिल रहे हैं। अभी हाल में मुझे बीएजी और स्टार प्लस से ऑफर मिला है। हां, लेकिन यह जरूर है कि कलाकारों को होने वाली पेमेंट में कमी आ रही है। न सिर्फ कमी बल्कि उन्हें भुगतान में भीं काफी देरी भी हो रही है।
लेकिन कुछ कलाकारों के लिए यह मुश्किल है, क्योंकि मान लीजिए अगर मैं वह रोल नहीं करुंगी तो मेरे पीछे 20 और ऐसे लोग हैं, जो वह रोल कर लेंगे। कुछ लोगों के पास उतने में काम करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है।’

First Published - April 22, 2009 | 10:46 AM IST

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