लागत में बढ़ोतरी और बिक्री में कमी से परेशान चल रही रियल एस्टेट कंपनियां अब अपनी परियोजनाओं के खर्चे कम करने में जुटी हुई हैं। खर्च कम करने के लिए अब इनका ध्यान निर्माण को समय पर पूरा करने पर है।
कंपनियां सस्ता सामान खरीद रही हैं और निर्माण को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए ये उन्नत और नई तकनीकों का इस्तेमाल कर रही हैं। उदाहरण के लिए आकृति सिटी अपनी इमारतों में पहले से तैयार स्लैब इस्तेमाल करने की योजना बना रही है। अगर वह खुद मजदूरों से इन स्लैब्स का निर्माण कराती तो उसे इन बनी बनाई स्लैब के मुकाबले 15 से 20 फीसदी अधिक खर्च करना पड़ता।
साथ ही वह एक ऐसी तकनीक के इस्तेमाल पर विचार कर रही है जिसमें पिलर बनाने के लिए कंक्रीट को परंपरागत लकड़ी के ढांचों में डालने की बजाय सीधे एल्युमीनियम के ढांचों में डाला जाए। इस तकनीक के इस्तेमाल से खर्च को 20 फीसदी तक कम किया जा सकता है। एल्युमीनियम, सीमेंट और श्रमिकों का खर्च निर्माताओं पर अधिक पड़ने लगा है और इसी से निपटने के लिए वे दूसरे तरीके अपनाकर खर्च को कम करने की कोशिश में हैं। किसी परियोजना में इन उत्पादों और श्रमिकों का कुल खर्च 40 फीसदी के करीब बैठता है जो पिछले एक साल के दौरान बढ़कर 50 फीसदी से ऊपर हो गया है।
ऊंची ब्याज दरों और पूंजी की कमी की मार भी इन कंपनियों पर खासी पड़ी है। अब देश की दूसरे सबसे बड़े प्रॉपटी डेवलपर्स कंपनी यूनिटेक की बात करते हैं। कंपनी सिंगापुर और मलेशिया से भारी तादाद में एक साथ सैनेटरी वेयर, लकड़ी की फ्लोरिंग और दूसरे फिनिशिंग उत्पाद खरीद रही है। कंपनी को उम्मीद है कि इस वित्त वर्ष में इन कदमों के जरिए वह 400 करोड़ रुपये बचा पाएगी। यूनिटेक के प्रबंध निदेशक संजय चंद्रा कहते हैं कि निर्माण का खर्च बढ़ने की वजह से ही कंपनी ने सीधे विदेशों से सामान आयात करने का मन बनाया।
उन्होंने कहा, ‘निर्माण कार्य से जुड़ी बड़ी कंपनियां विदेशों से थोक खरीदारी का भार उठा सकती हैं और इस तरह अपने खर्चे को कम कर सकती हैं।’ महिंद्रा ऐंड महिंद्रा की निर्माण क्षेत्र की इकाई महिंद्रा लाइफस्पेस डेवलपर्स ने हाल ही में एक नए इनोवेशन सेल का गठन किया है। यह सेल खर्च को कम करने के लिए नई तकनीकें ढूंढने का काम कर रहा है, जैसे सीमेंट की जगह पर फ्लाई ऐश का इस्तेमाल करना। कंपनी स्लैब तैयार करने में पहले एक महीने का समय लगाती थी, जिसे उसने कम कर 21 दिन कर लिया है और आगे योजना है कि इस अवधि को घटाकर 15 दिन का कर लिया जाएगा।
हाल ही में रियल एस्टेट कंपनी अंसल एपीआई ने चीन का दौरा किया ताकि वहां से टाइल्स, खिड़कियों, केबल और सीमेंट का आयात किया जा सके। दरअसल भारत की तुलना में चीन में ये माल 10 से 15 फीसदी सस्ते मिलते हैं। कंपनी ने हाल ही में इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनी यूईएम मलेशिया के साथ नई तकनीकों और उपकरणों के इस्तेमाल के लिए करार किया है। पार्क लेन प्रॉपर्टी एडवाइजर्स के प्रबंध निदेशक अक्षय कुमार कहते हैं, ‘पहले कंपनियां निर्माण पर दिल खोलकर खर्च करती थीं पर अब बिक्री मंदी पड़ी है और लागत मूल्य भी बढ़ता जा रहा है, ऐसे में अब उनके पास खर्च को कम करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।’
खर्च को कम करने के लिए रियल एस्टेट कंपनियां अब कर्मचारियों पर होने वाले खर्च को भी समेटने की कोशिशों में जुटी हुई हैं। एक तरफ जहां कंपनियां कर्मियों की नियुक्तियों और वेतन में कटौती कर रही है, पार्श्वनाथ डेवलपर्स के चेयरमैन प्रदीप जैन कहते है कि इस तरह के प्रयासों से खर्च कम नहीं होने वाला। उनका कहना है, ‘जब आप एक कंपनी बनाते हैं तो वे कर्मी आपके विकास का हिस्सा बन जाते हैं। आप बुरे वक्त में अपने कर्मचारियों पर बोझ नहीं डाल सकते। लेकिन हम हर कर्मचारी के खर्च में कुछ कटौती जरूरत कर सकते है।’