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मिस्त्री की महत्त्वाकांक्षा से प्रेरित है याचिका : टाटा

Last Updated- December 15, 2022 | 5:01 AM IST

उच्चतम न्यायालय में साइरस मिस्त्री की याचिका खारिज किए जाने की भावुक अपील करते हुए टाटा समूह के रतन टाटा ने कहा है कि मिस्त्री के साथ विवाद उनकी व्यावसायिक महत्त्वाकांक्षा और टाटा संस के निदेशक मंडल से उन्हें हटाए जाने का नतीजा है। उन्होंने कहा कि यह याचिका मिस्त्री परिवार के टाटा संस का शेयरधारक होने की हैसियत से दायर नहीं की गई है।
शीर्ष अदालत में जवाबी हलफनामा दाखिल करते हुए 82 वर्षीय टाटा ने टाटा समूह के चेयरमैन के तौर पर कोरस स्टील और जगुआर लैंडरोवर के अधिग्रहण जैसे अपने फैसलो को सही ठहराया। अक्टूबर 2016 में समूह से हटाए जाने के बाद मिस्त्री ने इसे ‘विरासत का बड़ा मसला’ बताया था।
मिस्त्री का आरोप था कि इन अधिग्रहणों से टाटा समूह के मूल्य में भारी कमी आई, जिससे बतौर चेयरमैन उनके प्रदर्शन पर भी असर पड़ा। टाटा संस में करीब 21 साल तक चेयरमैन रहने के बाद 2012 में रतन टाटा के सेवानिवृत्त होने पर मिस्त्री को चेयरमैन बनाया गया था। लेकिन चार साल बाद उन्हें पद से हटा दिया गया।
टाटा ने कहा, ‘जीवन के इस पड़ाव पर मैं टाटा संंस के चेयरमैन के कार्यकालय के दौरान अपने प्रदर्शन के बारे में न तो बात करूंगा और न ही उसे सही ठहराऊंगा। यह काम मैं समूह की कंपनियों और शेयरधारकों पर छोड़ता हूं। लेकिन बता दूं कि पिछले कई दशकों में मैंने टाटा समूह के हित और उसकी विरासत को ध्यान में रखते हुए ही समूह के विभिन्न पदों पर काम किया। इस बात को आंकड़ों और निवेश पर रिटर्न से ही नहीं आंका जा सकता।’
टाटा समूह और मिस्त्री के बीच अल्पांश शेयरधारकों के अधिकारों और बोर्ड में प्रतिनिधित्व को लेकर तीन साल से विवाद चल रहा है। मिस्त्री परिवार के पास टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस की 18.5 फीसदी हिस्सेदारी है और रतन टाटा के नेतृत्व वाले टाटा ट्रस्ट्स के पास 66 फीसदी हिस्सेदारी है। बाकी हिस्सेदारी समूह की बाकी कंपनियों के पास है।
टाटा और मिस्त्री के बीच कानूनी विवाद अक्टूबर 2016 में मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाए जाने के बाद शुरू हुआ। टाटा के अलावा टाटा ट्रस्ट्स ने भी अदालत में जवाब दाखिल किया और कहा कि यह याचिका मुख्य रूप से मिस्त्री परिवार की व्यवसायिक महत्त्वाकांक्षा से प्रेरित है और इसमें टाटा संस के शेयरधारकों को दबाने जैसा कुछ भी नहीं है। टाटा ने कहा कि अल्पांश शेयरधारकों को दबाए जाने के मिस्त्री के आरोप बेबुनियाद हैं और असली तकलीफ मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाए जाने की है। यह मामला शेयरधारक का नहीं है। टाटा ने अपने जवाब में कहा, ‘मिस्त्री के परिवार ने टाटा संस में 1965 में 69 करोड़ रुपये का निवेश किया था, जिसकी कीमत आज 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा हो चुकी है। इसके बाद वह कैसे कह सकते हैं कि उन्हें सताया गया।’

First Published - July 10, 2020 | 10:37 PM IST

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